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शिरोमणि अकाली दल ने आठ बड़े नेताओं को पार्टी से निकाला, अंतर्कलह बढ़ने पर उठाया कदम

शिरोमणि अकाली दल में जारी अंतर्कलह काफी बढ़ चुकी है. इस दौरान पार्टी  अनुशासनात्मक कमेटी ने पार्टी के खिलाफ विद्रोह का रुख अपनाने वाले कई नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. 

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Mohit Saxena
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Shiromani Akali Dal President Sukhbir Badal

Shiromani Akali Dal (Social media)

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शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में जारी अंतरर्कलह ज्यादा देखी जा रही है. इस बीच पार्टी  की अनुशासनात्मक कमेटी ने पार्टी में विद्रोही रुख वाले नेताओं को बाहर रास्ता दिखा दिया है. विद्रोही नेताओं में गुरप्रताप सिंह वडाला, बीबी जागीर कौर, पूर्व सांसद प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा, परमिंदर सिंह ढींडसा, सिकंदर सिंह मलूका सुरजीत सिंह रखड़ समेत कुल आठ वरिष्ठ नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा गया है. उन्हें प्राइमरी सदस्यता से बेदेखल कर दिया है.

शिअद में चल रहे इस असंतोष के कारण कुछ पार्टी नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ ही बगावत का रुख अपना लिया था. बागी नेताओं की मांग थी कि सुखबीर बादल को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटा दिया जाए. इसके बाद से पार्टी ने अब इन्हीं बागी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की है.

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आपको बता दें कि शिरोमणि अकाली दल अनुशासन समिति की एक खास बैठक आज चंडीगढ़ में हो रही है. इसकी अध्यक्षता बलविंदर सिंह भूंदड़ ने की. कमेटी सदस्य महेशइंदर सिंह ग्रेवाल और गुलजार सिंह रणीके ने वर्चुअली इस बैठक में भाग लिया. इस बैठक में पार्टी विरोधी गतिविधियों के मामले में खास चर्चा हुई. इसके बाद इन नेताओं   को पार्टी की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया. वहीं 7 विधानसभा क्षेत्रों के मौजूदा प्रभारियों को हटाया गया है. 

किसी तरह का कोई पत्र नहीं दिया गया था- चरणजीत सिंह बराड़

अकाली दल के बागी नेता चरणजीत सिंह बराड़ के अनुसार, उन्हें इस तरह से पार्टी से निकालना काफी निंदनीय है. पार्टी की ओर से उन्हें किसी तरह का कोई पत्र नहीं दिया गया था. उन्होंने कहा ​कि इस तरह निर्णय अकाली दल के अध्यक्ष का है.

चिंता व्यक्त करने का मौका

बताया जा रहा है ​कि अकाली दल की अनुशासन समिति ने लंबी चर्चा के बाद ये निष्कर्ष निकाला कि निष्कासित सभी 8 नेता, लगातार पार्टी के हितों को कमजोर करने वाली गतिविधियों में लगे थे. समिति के सदस्यों को यह अहसास है कि 26 जून 2024 को कार्यसमिति की बैठक में इन सभी नेताओं से अपनी चिंताओं को व्यक्त करने का आग्रह किया गया. उन्होंने मीडिया के जरिए पार्टी के खिलाफ झूठा प्रचार किया. इस तरह से समझा में आता है कि इन्हें पार्टी संगठन पर पूरा भरोसा बिल्कुल नहीं है. 

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