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कृषि कानूनों पर बीजेपी के लिए अग्निपरीक्षा, पंजाब में स्थानीय निकायों की वोटिंग जारी

ये चुनाव अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के लिए एक 'सेमीफाइनल' की तरह से है, जिसकी नजर कृषि कानूनों की पृष्ठभूमि के खिलाफ अपनी सरकार को दोहराने की है.

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Nihar Saxena
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Punjab Municipal Elections

बीजेपी समेत कैप्टन अमरिंदर सिंह की प्रतिष्ठा की लड़ाई बने चुनाव.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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पंजाब (Punjab) में आठ नगर निगमों, 109 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के लिए रविवार को मतदान शुरू हुआ. मतदान सुबह आठ बजे से शाम के चार बजे तक होगा. यहां सत्तारूढ़ कांग्रेस (Congress), मुख्य विपक्षी आम आदमी पार्टी (AAP) और शिरोमणि अकाली दल (SAD) के बीच मुख्य मुकाबला होने वाला है. विवादित कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर आक्रोश का सामना कर रही पार्टी भाजपा भी मैदान में है. पार्टी दो दशक में पहली बार अकालियों के बिना चुनाव लड़ रही है. एनडीए के सबसे पुराने सहयोगी रहे अकालियों ने कृषि कानूनों को लेकर अपने विचार के चलते अपने राह इनसे अलग कर लिए. इस बार कस्बों व शहरों के स्थानीय मुद्दे और इनसे संबंधित वार्ड चुनाव प्रचार में हावी रहे हैं. चुनाव के नतीजे 17 फरवरी को घोषित किए जाएंगे. मतदान के लिए 19000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. साथ ही 20 हजार 510 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है.

बीजेपी को नहीं मिले उम्मीदवार
पंजाब में नगर निकाय और नगर पंचायतों के चुनाव में लगातार हो रहे विरोध के कारण बीजेपी 2215 में से 1212 वार्ड में प्रत्याशी ही नहीं उतार पाई. सूबे में कई वार्ड ऐसे हैं जहां पर बीजेपी को प्रत्याशी ही नहीं मिले. अगर कहीं मिले भी तो उन्होंने चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने से ही इंकार कर दिया. कई जगह बीजेपी प्रत्याशी पार्टी चुनाव चिह्न को छोड़कर बतौर आजाद प्रत्याशी के मैदान में हैं. उधर कांग्रेस ने भी एक सोची समझी रणनीति के तहत 87 आजाद उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक कांग्रेस ने 2128, शिरोमणि अकाली दल ने 1569 और भाजपा ने सबसे कम 1003 उम्मीदवार उतारे हैं. 

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अमरिंदर सिंह के लिए सेमीफाइनल
मतदान के 4,102 केंद्रों पर कुल 20,49,777 पुरुष और 18,65,354 महिलाएं वोट डालेंगी, जिनमें से 1,708 बूथ संवेदनशील घोषित किए गए हैं और 861 अति संवेदनशील हैं. नगरपालिका चुनाव के लिए कुल 2302 वार्डो के लिए 9222 उम्मीदवार चुनावी मैदान पर उतरे हैं. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले हो रहे ये चुनाव अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के लिए एक 'सेमीफाइनल' की तरह से है, जिसकी नजर कृषि कानूनों की पृष्ठभूमि के खिलाफ अपनी सरकार को दोहराने की है, जिसके चलते भाजपा वर्तमान समय में आक्रोश का केंद्र बना हुआ है.

HIGHLIGHTS

  • बीजेपी दो दशक में पहली बार अकालियों के बिना चुनाव लड़ रही
  • सूबे के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के लिए चुनाव सेमी फाइनल
  • किसानों के आक्रोश के चलते बीजेपी को नहीं मिले उम्मीदवार
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