पंजाब में क्या है कांग्रेस की जीत का फार्मूला..पार्टी की मुश्किलें बरकरार

कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाकर साफ़ कर दिया है की 2022 में उसकी रणनीति क्या होने वाली है, क्योंकि चन्नी उस दलित समुदाय से आते हैं जिनकी आबादी 32 फीसदी है.. पंजाब देश के उन राज्यों में है, जहां सबसे ज्यादा दलित रहते हैं..

author-image
Sunder Singh
एडिट
New Update
channi44

faile photo( Photo Credit : News Nation)

Advertisment

कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाकर साफ़ कर दिया है की 2022  में उसकी रणनीति क्या होने वाली है, क्योंकि चन्नी उस दलित समुदाय से आते हैं जिनकी आबादी 32 फीसदी है.. पंजाब देश के उन राज्यों में है, जहां सबसे ज्यादा दलित रहते हैं.. अगर कांग्रेस का ये मास्टर स्ट्रोक काम कर गया तो न सिर्फ़ कांग्रेस लगातार दूसरी बार पंजाब की सत्ता में वापसी करेगी बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा.. हालाकि जो भी हो चुनाव से ठीक पांच माह पहले मुख्यमंत्री का बदलना बड़ा संदेश है.. हालाकि हाल ही में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सिद्दू के स्तीफे के बाद वहां समीकरण काफी चेंज हो गए हैं.. अब देखना ये है की राज्य में पार्टी का नया कैप्टन कौन होगा..

लखीमपुर खीरी कांड पर बोले सिद्धू- क्या ये मांग करना अपराध है

कांग्रेस के कद्दावर कैप्टन अमरिंदर सिंह का इस्तीफ़ा और इस्तीफे के बाद कैप्टन के क़दम से फिलहाल कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती हुई ज़रूर दिख रही हैं , लेकिन हमें ये भी देखना होगा की क्या पंजाब में अब भी कैप्टन का 2017 जैसा जलवा बरक़रार है, एक सीएम के तौर पर कैप्टन ने साढ़े चार साल का सफर ज़रूर पूरा किया है, लेकिन इस सफर के दौरान सरकार से लेकर संगठन तक कई तरह के असंतोष बढे हैं.. कैप्टन ने 2017 चुनाव से पहले पंजाब के लोगों से "नौ नुक़्ते "नाम से जो नौ वादे किये थे उनमें से कई अब तक पूरे नहीं हुए हैं,  हर घर में 18-35 साल के एक बेरोजगार नौजवान को नौकरी ,सरकार बनते ही चार हफ्ते में पंजाब से नशा ख़त्म करने का वादा, हर ग़रीब को मकान जैसे वादे अब भी पूरे नहीं हुए हैं,  कैप्टन सरकार की इस नाकामी का जवाब कैप्टन के साथ साथ कांग्रेस को भी देना होगा..

2017 में मालवा क्षेत्र से कांग्रेस ने कुल 77  में से 38  सीटें जीती थी , जबकि 2012 में 33  सीटें जितने वाली अकाली दल 2017 में 8  सीटें ही जीत पायी थी,  पंजाब के दूसरे अहम क्षेत्र हैं दुआब और मांझा, दुआब में 26 और मांझा में कुल 25  सीटें हैं.. कांग्रेस ने 2017 में दुआब की कुल 26  में से 17 और मांझा की कुल 25  में से 22 सीटें जीती थी.  दोआब क्षेत्र जिनमें जालंधर, कपूरथला, होशियारपुर और नवांशहर जिले हैं..यहाँ पंजाबी दलितों की आबादी 40% है. चन्नी के सीएम बनने से कांग्रेस को दोआब इलाके में फायदा हो सकता है..ओम प्रकाश सोनी को उप मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने हिन्दू वोटर को साधने की कोशिश की है..जबकि जट्ट सिख कम्युनिटी नाराज न हो, इसलिए सुखजिंदर रंधावा को डिप्टी सीएम बनाया गया है.. कैप्टन अमरिंदर सिंह , सिद्धू और प्रकश सिंह बादल सभी जट सिख समुदाय से ही हैं ,पंजाब में जट सिख की कुल आबादी 20 % है.

चुनाव में ये बात भी काफी अहम् मानी जाती है की विरोधी किस स्थिति में हैं.. किसान आंदोलन की वजह से अकाली दल और बीजेपी दोनों बैक फुट पर है, केंद्र सरकार की सहयोगी रही अकाली दल के लिए किसान बिल पर लोगों से खुद के लिए क्लीन चिट हासिल करना आसान नहीं है.. 2017 में अकाली के साथ गठबंधन और मोदी लहर के बावजूद बीजेपी सिर्फ़ 3 सीट ही जीत पायी थी.. इस बार केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ किसान बिल को लेकर सबसे ज़्यादा नाराज़गी पंजाब में ही है.. पिछले चुनाव में 20 सीट जीतने वाली आम आदमी पार्टी के पास कोई मज़बूत चेहरा नहीं है.. ज़ाहिर है ऐसे में अकाली ,बीजेपी और आम आदमी पार्टी की ये कमियां अंदरूनी चुनौतियों से जूझ रही कांग्रेस के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है..

HIGHLIGHTS

  • पांच राज्यों के साथ 2022 में होने हैं पंजाब में विधानसभा चुनाव 
  • चुनाव से ठीक पांच माह पहले बदल दिया मुख्यमंत्री 
  • क्या आगामी चुनाव में 2017 वाला जलवा बरकरार रख पाएगी पार्टी 

Source : Peenaz Tyagi

assembly-elections What is Congress's victory formula in Punjab Party's troubles continue Punjab to be held in 2022
Advertisment
Advertisment
Advertisment