Punjab Panchayat Election 2024: पंजाब में आज यानी मंगलवार को पंचायत चुनाव हो रहे हैं. मतदान प्रक्रिया सुबह 8 बजे से शुरू हो गई है और शाम 4 बजे तक चली है. इसे लेकर राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो गई हैं, हालांकि नतीजे शाम को ही घोषित किए जाएंगे. चुनाव के मद्देनजर राज्य के सभी जिलों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. सबके बीच बता दें कि मुख्य मुकाबला राज्य की तीन प्रमुख पार्टियों में है - कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल (SAD) और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच हो रहे हैं. सभी दल ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए जी-जान से जुटे हैं. इस बार का चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राज्य के भविष्य के राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में अहम भूमिका निभा सकता है.
यह भी पढ़ें : कौन है लॉरेंस बिश्नोई, जेल से कैसे चला रहा है अपना गैंग नेटवर्क? जानें सबकुछ
कांग्रेस की रणनीति
आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने पंचायत चुनाव को अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने का अवसर माना है. पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस को सत्ता से बाहर होना पड़ा था, लेकिन पंचायत चुनाव में ग्रामीण क्षेत्रों में उसका अभी भी मजबूत आधार है. कांग्रेस अपने पारंपरिक वोट बैंक पर ध्यान केंद्रित करते हुए गांवों में सक्रिय है. पार्टी नेतृत्व का मानना है कि कृषि सुधारों और किसानों की समस्याओं को लेकर उनकी नीतियां ग्रामीण मतदाताओं को आकर्षित कर सकती हैं.
वहीं आपको बता दें कि चुनाव में कांग्रेस की रणनीति स्पष्ट है. वो है - गांवों में विकास और किसानों के मुद्दों को जोर-शोर से उठाना. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता अमरिंदर सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस को एक नई दिशा देने की कोशिश की जा रही है और इस चुनाव को पार्टी के लिए पुनरुत्थान का एक अवसर माना जा रहा है.
शिरोमणि अकाली दल की वापसी की कोशिश
बता दें कि शिरोमणि अकाली दल (SAD) के लिए यह पंचायत चुनाव अत्यधिक महत्वपूर्ण है. कृषि कानूनों के विरोध के बाद अकाली दल ने भारतीय जनता पार्टी से अलग होकर किसानों के पक्ष में अपनी स्थिति स्पष्ट की थी. अकाली दल अब यह चुनाव किसानों के मुद्दों पर केंद्रित कर रही है और वह ग्रामीण पंजाब में अपनी खोई लोकप्रियता को फिर से पाने की कोशिश कर रही है.
साथ ही बता दें कि पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने अपने समर्थकों को चुनाव में आक्रामक रणनीति अपनाने की हिदायत दी है. अकाली दल का उद्देश्य अपने पारंपरिक वोट बैंक, विशेषकर सिख किसानों और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले समुदायों को एकजुट रखना है. इसके अलावा, वह छोटे गांवों और कस्बों में अपने प्रभाव को मजबूत करने के लिए पूरी कोशिश कर रही है.
आम आदमी पार्टी का उभार
इसके साथ ही आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी (AAP) ने 2022 के विधानसभा चुनावों में पंजाब में ऐतिहासिक जीत हासिल की थी और अब पंचायत चुनावों में भी उसकी नजर जीत पर टिकी है. AAP सरकार ने राज्य में कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं, जो ग्रामीण मतदाताओं को आकर्षित कर सकती हैं. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्यभर में भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम और मुफ्त बिजली, पानी जैसी योजनाओं पर जोर दिया है, जिससे AAP ग्रामीण इलाकों में भी अपना प्रभाव बढ़ा रही है. वहीं AAP की रणनीति गांवों में अपने विकास कार्यों और पार्टी की 'साफ-सुथरी राजनीति' की छवि पर जोर देने की है. पार्टी नए चेहरों को मौका देकर गांवों में स्थानीय नेतृत्व को मजबूत कर रही है.
मुकाबला किसका पलड़ा भारी?
इलके अलावा आपको बता दें कि पंजाब पंचायत चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला है, जिसमें कांग्रेस, अकाली दल और AAP के बीच कड़ा मुकाबला है, जहां कांग्रेस और अकाली दल अपने पुराने आधार को बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं AAP अपनी नई सरकार के विकास कार्यों के दम पर ग्रामीण क्षेत्रों में पैठ बनाने का प्रयास कर रही है. हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि AAP के पास हालिया सत्ता में आने का फायदा है, लेकिन कांग्रेस और अकाली दल के पास वर्षों का ग्रामीण अनुभव और मजबूत संगठनात्मक ढांचा है, जो उन्हें मुकाबले में बराबरी पर ला सकता है.