कोरोना की दूसरी लहर (Corona 2nd Wave) के कारण देश के कई राज्यों में लॉकडाउन (Lockdown) लागू कर दिया गया था. लॉकडाउन की वजह संक्रमण की रफ्तार तो धीमी जरूर पड़ी है लेकिन अब राज्यों के सामने एक नई मुसीबत सामने आ गई है. दरअसल लॉकडाउन की वजह से दिल्ली-महाराष्ट्र और पंजाब में काम करने वाले प्रवासी मजदूर (Migrant Workers) वापस लौट चुके हैं. जिसके कारण अब इन राज्यों में मजदूरों की किल्लत सामने आने लगी है. पंजाब में धान की बुआई का सीजन शुरू हो गया है, लेकिन मजदूरों के नहीं होने के कारण किसानों के सामने बड़ी समस्या आ गई है.
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किसान अब उत्तर प्रदेश और बिहार लौटे श्रमिकों को बुलाने के लिए संपर्क कर रहे हैं, लेकिन श्रमिक आने को तैयार नहीं हैं. प्रवासी मजदूरों को कोरोना की तीसरी लहर का खतरा सता रहा है. साथ ही वे हर बार हजारों रुपये खर्च करके लौटते हैं, लेकिन सिर्फ कुछ महीनों बाद लॉकडाउन के कारण उनको वापस लौटना पड़ता है. अब किसानों को स्थानीय श्रमिकों के सहारे काम चलाना पड़ेगा.
इस स्थिति से साफ है न तो राज्य सरकारों ने और न ही यहां औद्योगिक सेक्टर से जुड़े नियोक्ताओं ने कोरोना की पहली लहर में पिछले साल बड़े पैमाने पर हुए मजदूरों के पलायन से कोई सबक सीखा है. पंजाब से मजदूरों का अपने गृह राज्यों को लौटना जारी है. उन्हें डर है कि किसी भी वक्त पूर्ण लॉकडाउन का ऐलान हो सकता है. ठेका प्रथा पर मजदूरी करने वाले खास तौर पर आशंकित हैं. पंजाब में आंशिक लॉकडाउन के बावजूद रेलवे स्टेशनों और बस स्टेशनों पर काफी हलचल देखी जा सकती है.
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वहीं प्रवासी मजदूरों की समस्या को देखते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने स्पष्ट कहा था कि पंजाब में पूर्ण लाकडाउन नहीं लगेगा. उन्होंने कहा था कि पूर्ण लाकडाउन समस्या का हल नहीं है. इससे बड़ी संख्या में मजदूर अपने घरों की तरफ चल देते हैं, जिससे अन्य राज्यों में भीड़ बढ़ती है.
HIGHLIGHTS
- पंजाब में मजदूरों का संकट
- किसानों को नहीं मिल रहे मजदूर
- प्रवासी मजदूर वापस आने को तैयार नहीं