राजस्थान विधानसभा में 199 में विधायकों में से 135 विधायकों ने सवाल नहीं किए. केवल 35 विधायकों ने 450 सवाल लगाए हैं. राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद चल रहे 15वीं विधानसभा के पहले सत्र में पहुंचने के साथ ही अधिकतर विधायकों ने मौन व्रत धारण कर लिया है. विधायकों की चुप्पी को देख सियासी चर्चा तेज होने लगी है. 15वीं विधानसभा के लिए चुनकर आए अधिकतर जनप्रतिनिधियों ने विधानसभा के भीतर आते ही मौन व्रत धारण कर लिया है. प्रदेश के 70 फ़ीसदी से अधिक विधायकों ने इस बार विधानसभा में सरकार से पूछने के लिए कोई भी सवाल लगाया ही नहीं. वहीं जिन विधायकों ने सवाल लगाए हैं, उनमें से सर्वाधिक सवाल चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के विभागों से जुड़े हैं.
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मतलब सर्वाधिक सवालों के जवाब मंत्री रघु शर्मा और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को ही देने हैं. अब तक जो सवाल लगाए गए हैं उनमें 74 तारांकित और अतारांकित सवाल पूछे जाने की अनुमति दी गई है. पूछे गए सवालों से साफ हो गया है कि प्रदेश में तेजी से फैल रहे स्वाइन फ्लू व अन्य मौसमी बीमारियों को लेकर चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को घेरा जाएगा. अकेले 40 से अधिक सवाल उन्हीं के डिपार्टमेंट के हैं. वहीं करीब 38 सवाल उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट से जुड़े विभागों के हैं. कर्ज माफी पर सहकारिता मंत्री से 11 सवाल लगाए गए हैं, जिसमें यूरिया किल्लत से जुड़े सवाल भी शामिल हैं.
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कुल 450 सवालों में से 232 तारांकित और 218 सवाल अतारांकित श्रेणी में है. जिस तरह मौजूदा सरकार के पहले ही विधानसभा सत्र में सवाल लगाए गए हैं. उसके बाद यह साफ है कि अधिकतर जनप्रतिनिधि या तो सवाल लगाने में रुचि नहीं रखते या फिर उन्हें संसदीय प्रक्रियाओं की पूर्ण जानकारी नहीं है, जिससे वह चाहकर भी सवाल नहीं लगा पाए. हालांकि मौजूदा विधायकों में 80 से अधिक नए हैं. वहीं, वरिष्ठ विधायकों का मानना है कि सरकार ने कामकाज शुरू ही किया है. वहीं सरकार से पूछने के लिए ज्यादा कुछ ना तो विपक्ष के पास है और ना ही नए विधायकों के पास है. लिहाजा विधानसभा के पहले सत्र में सवाल कम ही लगाए गए हैं.
Source : Lal Singh Fauzdar