राजस्थान में स्वाइन फ्लू लोगों को तेजी से मौत की नींद सुला रहा है. यह हम नहीं कह रहे बल्कि पिछले एक साल में स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों कह रहे हैं. आकंड़ों के मुताबिक राज्य में एक साल के भीतर 221 लोगों ने इस बीमारी की वजह से अपनी जान गंवाई है यानी औसतन हर दो दिन में तीन लोग स्वाइन फ्लू के ग्रास बने.ऐसे हालात में राजस्थान देशभर में स्वाइन फ्लू की भयावहता और नुकसान को लेकर दूसरे नम्बर पर आ गया है.
भले ही स्वास्थ्य विभाग दावा कर रहा हो कि राजस्थान को बीमारू प्रदेश की स्थिति से बाहर ला दिया गया है, लेकिन सच्चाई ये है कि स्वाइन फ्लू, स्क्रबटाइफस और डेंगू ने पिछले एक साल में 262 लोगों की जान ले ली है.स्वाइन फ्लू के मामले तो इतने सामने आए कि महाराष्ट्र के बाद सबसे खराब हालात राजस्थान में ही है. जनवरी की शुरूआत के साथ ही अब एकबार फिर स्वाइन फ्लू एक्टिव मोड में आ गया है जिसके चलते चिकित्सा विभाग की नींद उड़ने लगी है.
इन बीमारियों से हो रहे मौत में राज्य के चिकित्सा विभाग के दावे हुए तार-तार हो रहे हैं और लापरवाहियां सामने आ रही हैं. जिसके कारण स्वाइन फ्लू पॉजिटिव के मामलों में राजस्थान देश में सबसे ऊपर पहुंच गया है.
जयपुर के बाद कोटा में स्वाइन फ्लू के कारण सबसे अधिक 29 लोगों की मौत हुई है. चिकित्सा विभाग जीका वायरस से निपटने में भी नकारा साबित हुआ है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने राजस्थान समेत गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली को स्वाइन फ्लू और डेंगू के लिए पहले ही चेतावनी जारी की थी.
राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग के निदेशक वी के माथुर ने कहा, '1 जनवरी से 21 दिसंबर के बीच राजस्थान में स्वाइन फ्लू के 2,192 मामले सामने आए. सबसे ज्यादा मौतें और पॉजिटिव मामले जयपुर में दर्ज हुए हैं. हम रोकथाम के उपाय पर कदम उठा रहे हैं, डरने की जरूरत नहीं हैं.'
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स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के हिसाब से स्वाइन फ्लू पॉजिटिव के मामले में राजस्थान देश में पहले नंबर पर पहुंच गया है जबकि स्वाइन फ्लू से हुई मौतों के मामले में महाराष्ट्र पहले नंबर पर है. अधिकारी भले डरने की जरूरत नहीं बता रहे हों लेकिन राज्य में स्वाइन फ्लू के मिशिगन वायरस ने लोगों में दहशत बना रखा है.
Source : News Nation Bureau