पाकिस्तान के सात प्रवासियों को शुक्रवार को जयपुर के जिला कलेक्टर अंतर सिंह नेहरा ने अपने कार्यालय में भारतीय नागरिकता प्रदान की. इन प्रवासियों में राजस्थान में रह रहे तीन दंपति भी शामिल हैं. जिन लोगों को नागरिकता से संबंधित प्रमाणपत्र प्रदान किए गए, उनमें जवाहर राम, सोनारी माई, गोजर माई, गोर्दन दास, गणेश चंद, बसन माई और अर्जन सिंह शामिल थे. मानसरोवर में 9 साल से पाकिस्तानी प्रवासी के रूप में रह रहे गोर्दन दास ने कहा कि वह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रहिमयार खान इलाके से यहां आए थे. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर असुरक्षा के कारण हम भारत आए थे. वहां हमें अपने बच्चों का कोई भविष्य भी नजर नहीं आ रहा था.
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अधिकारियों के मुताबिक, नागरिकता प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद इन नए भारतीय नागरिकों ने विश्वास व्यक्त किया कि अब उनके बच्चों के सभी अधिकार सुनिश्चित होंगे. इसके अलावा, वे सभी रोजगार और सरकारी सुविधाओं और योजनाओं का भी लाभ लेंगे. इस अवसर पर अतिरिक्त जिला कलेक्टर (दक्षिण) शंकरलाल सैनी भी उपस्थित थे. जिन पाकिस्तानी प्रवासियों को नागरिकता दी गई, वे 7 से 15 साल पहले यहां आकर बस गए थे. नेहरा ने सभी नागरिकों को नागरिकता मिलने पर बधाई दी और उम्मीद जताई कि ये सभी देश की सेवा करते हुए एक अच्छे नागरिक के रूप में राष्ट्र के विकास में योगदान देंगे.
इससे पहले मध्य प्रदेश के इंदौर में निवासरत पाकिस्तान से आए सिंधी समाज के 64 सदस्यों को नागरिकता प्रमाण-पत्र मिल गया है, जिससे यह लोग काफी खुश हैं. इंदौर में निवासरत जिन लोगों को नागरिकता प्रमाण पत्र मिला है उन्हीं में से एक परदीप लाजोमल तलरेजा ने बताया कि सांसद शंकर लालवानी तथा जिला प्रशासन के सहयोग से न केवल उन्हें बल्कि उनकी पत्नी लता कुमारी तलरेजा तथा नारायणदास लाजोमल तलरेजा को भी नागरिकता प्रमाण-पत्र प्राप्त हो सका.
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उन्होंने बताया कि वे पाकिस्तान के सिंद्ध प्रांत में रहते थे. पाकिस्तान में अल्पसंख्यक अत्याचार का शिकार होने के बाद वे अपने परिवार सहित 13 वर्ष पहले सन 2008 में पाकिस्तान से भारत आ गये. भारत आने के बाद उन्हें केन्द्र सरकार की ओर से शरणार्थी बनाया गया, तभी से वे इंदौर में निवास कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि अपने देश वापस आकर वे बेहद खुश हैं. लेकिन कहीं न कहीं भारतीय नागरिकता न मिल पाने का दुख भी उन्हें पिछले 13 वर्षों से कचोट रहा था. परदीप ने भारत सरकार तथा जिला प्रशासन से मिले सहयोग के लिये आभार प्रकट किया.
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के बाद इन लोगों को नागरिकता मिल पा रही है. साल 2019 में मोदी सरकार पड़ोसी मुल्कों से आकर भारत में रह रहे तमाम शरणार्थियों के लिए सीएए लेकर आई थी. सीएए में केवल पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों को भारत में नागरिकता देने की बात कही. इन अल्पसंख्यकों में हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के लोग शामिल हैं. हालांकि सीएए में इन देशों से आए मुस्लिमों के लिए नियम नहीं बनाया गया.
(इनपुट - आईएएनएस)
Source : News Nation Bureau