प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के नाम पर बीजेपी और कांग्रेस में हुई बस पॉलटिक्स के बाद अब किराया पॉलिटिक्स शुरू हो गई है. ताज़ा घटनाक्रम में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार (Ashok Gehlot Govt) ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Sarkar) को बसों किराये के नाम पर 36,36,664 रुपए का बिल भेज दिया है. ये बिल उन छात्रों के नाम से भेजा गया है, जिन्हें राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बसों द्वारा कोटा (राजस्थान) से उत्तर प्रदेश छोड़ा गया था.
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राजस्थान सरकार ने बिल भेज कर कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार इसका तुरंत भुगतान करे. राजस्थान सरकार की तरफ से भेजे गए बिल में कहा है कि राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम ने कोटा में फंसे उत्तर प्रदेश के छात्रों के लिए 70 बसें उपलब्ध कराई थी. इसके लिए 36,36,664 रुपए का खर्चा आया है. हालांकि राजस्थान सरकार की बसें जब छात्रों को लेने कोटा पहुंची थी, तभी डीजल के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से 19 लाख रुपए ले लिया था, बावजूद इसके फिर से भारी भरकम बिल भेज दिया है.
कोटा राजस्थान में करीब 12,000 छात्र लाकडाउन में फंसे थे, जिन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने घर पहुँचाया था. उत्तर प्रदेश सरकार ने 560 बसें भेजी थीं. सरकार को उम्मीद थी कि इतनी बसों से बच्चों की वापसी हो जाएगी पर बच्चों की संख्या अधिक थी.
ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्थान सरकार से अनुरोध किया कि अपनी कुछ बसों से बचे हुए बच्चों को प्रदेश की सीमा स्थित फतेहपुर सीकरी और झांसी तक पहुंचा दें. वहां से हम इनको घर भेजने की व्यवस्था कर लेंगे. जिस पर राजस्थान सरकार ने 70 बसों का इंतजाम किया था. इसी बसों का किराया अब राजस्थान सरकार मांग रही है.
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राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने उत्तर प्रदेश सरकार के लेटर का हवाला देते हुए कहा कि खुद उत्तर प्रदेश सरकार ने किराए पर बस मुहैया करने की मांग की थी. वही किराया मांगा जा रहा है. भाजपा इसमें भी सियासत कर रही है.
Source : lalsingh fauzdar