Advertisment

‘अजमेर वाली दरगाह शिव मंदिर है’, हिंदू सेना ने लगाई याचिका, अकबरनामा का दिया हवाला

हिंदू सेना ने अजमेर दरगाह के खिलाफ याचिका दायर की है. याचिका में हिंदू सेना ने दावा किया है कि वह पहले शिव मंदिर था. उसका एएसआई सर्वे कराया जाए.

author-image
Jalaj Kumar Mishra
New Update
Ajmer Dargah

Ajmer Dargah

Advertisment

राजस्थान के अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह को लेकर हिंदू सेना ने दावा किया है. हिंदू सेना ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष याचिका पेश की, जिसमें उन्होंने कहा कि दरगाह पहले संकट मोचन महादेव मंदिर था. हालांकि, न्यायाधीश प्रीतम सिंह ने उनकी याचिका की सुनवाई से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि यह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. याचिका किसी सक्षम न्यायालय में पेश की जाए. जस्टिस सिंह ने कहा कि याचिका जिला न्यायाधीश के समक्ष पेश की जाए.

पढ़ें पूरी खबर- अभी-अभी गृहमंत्री अमित शाह को मिली बुरी खबर, इस पड़ोसी देश ने भारत को दहलाने के लिए भेजे 900 आतंकी

इस पुस्तक का दिया हवाला

हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अपनी याचिका में दावा किया था कि दरगाह की जमीन पर पहले भगवान शिव का मंदिर था. वहां पूजा और जलाभिषेक होता था. उन्होंने 1911 में अजमेर के रहवासी हर विलासा शारदा द्वारा लिखित पुस्तक का हवाला देते हुए कहा कि दरगाह के स्थान पर मंदिर है. 

एएसआई सर्वे कराने की मांग 

याचिका में उन्होंने कहा कि दरगाह परिसर में मौजूद 75 फीट लंबे बुलंद दरवाजे के निर्माण में मंदिर के मलबे का भी इस्तेमाल किया गया है. यहां के तहखाने में गर्भगृह का प्रमाण है.

पढ़ें पूरी खबर-  8th Pay Commission: करोड़ों कर्मियों के लिए बड़ी खुशखबरी, सैलरी में होगी 8500 रुपए की बढोतरी! दिवाली से पहले मिलेगा गिफ्ट

याचिका में कहा गया है कि दरगाह का एएसआई सर्वे कराया जाए. उन्होंने कहा कि एएसआई सर्वे के बाद इसे हिंदू मंदिर घोषित किया जाए. दरगाह में भगवान संकट मोचन महादेव को विराजमान किया जाए. हिंदू रीति-रिवाजों से पूजा-पाठ करने की अनुमति दी जाए. 

दरगाह कमेटी के कब्जे को खाली कराए जाने की मांग 

हिंदू सेना ने दरगाह को गैर-कानूनी बताया है. उन्होंने मांग की है कि दरगाह कमेटी के अनाधिकृत कब्जे को हटाया जाए. हिंदू सेना ने दरगाह की बनावट और शिव मंदिर के प्रमाण के संबंध में भी साक्ष्य दिए.

याचिका में हिंदू सेना ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय, पुरात्तव विभाग और दरगाह कमेटी को पक्षकार बनाया है. वकील शशि रंजन कुमार का कहना है कि शाहजहां के वक्त लिखी गई पुस्तकों और अकबरनामा आदि में अजमेर में किसी भी मस्जिद और दरहगाह के प्रमाण नहीं हैं.

पढ़ें पूरी खबर- Hezbollah ने लिया पेजर अटैक का बदला? Israel पर दागी कादर-1 मिसाइल, जानिए कितना घातक है ये हथियार

Advertisment
Advertisment
Advertisment