नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीड़न प्रकरण में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम के सहयोगी शरदचन्द्र को राजस्थान हाईकोर्ट से शुक्रवार को बड़ी राहत मिल गई. हाईकोर्ट ने इस मामले में शरदचन्द्र की बीस साल की सजा पर स्थगन आदेश जारी किया. इस मामले में एक अन्य आरोपी शिल्पी की बीस साल की सजा पर हाईकोर्ट पहले ही स्थगन प्रदान कर चुका है. बता दें रेप के आरोप में जेल में बंद कथित स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम पर जोधपुर की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कोर्ट (SC/ST act) अपना फैसला सुनाया है. आसाराम समेत तीन आरोपियों को दोषी करार दिया गया है, जबकि दो अन्य आरोपी बरी हो गए हैं.
उम्रकैद की सजा मिली है आसाराम को
बता दें कि पाक्सो की विशेष अदालत ने आसाराम को नाबालिग लड़की के साथ किए गए रेप मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है. फैसला सुनाते हुए जज ने कहा था कि उन्होंने संतों को बदनाम किया है और लोगों के विश्वास को तोड़ा है. स्पेशल जज मधुसूदन शर्मा ने अपने 453 पन्नों के फैसले में नाराज़गी जताते हुए कहा कि इस गंभीर हरकत से 'न सिर्फ लोगों का विश्वास तोड़ा है बल्कि लोगों के बीच संतों के सम्मान को भी खत्म किया है.'
सजा सुनाते हुए ये कहा था जज ने
जज ने कहा, 'आरोपी असाराम संत कहे जाते हैं. उनके देश ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे लाखों श्रद्धालु हैं जो उनके अनुयायी रहे हैं. उनके 400 से अधिक आश्रम हैं... मे रे विचार से आऱोपी ने घिनौना और जघन्य कृत्य करके अपने अनुयायियों का विश्वास और संतों के सम्मान को खत्म किया है.'
यह भी पढ़ेंः यौन उत्पीड़न मामले में आसाराम के सहयोगी शरदचंद्र की सजा पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
उन्होंने पीड़िता के पिता का उदाहरण देते हुए कहा कि पीड़िता के पिता ने अहम भूमिका निभाई थी उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में इनका आश्रम बनवाने में. जज ने फैसले में कहा है कि पीड़िता के पिता के मन में असाराम के लिये अगाध श्रद्धा थी और उन्होंने मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा स्थित आसाराम के गुरुकुल में अपने दोनों बेटों और बेटी को पढ़ने के लिये भेजा. उन्होंने कहा है कि उसके बाद भी आरोपी ने बुरे साये से मुक्ति दिलाने के नाम पर उसकी बेटी को आश्रम में जाप के लिये बुलाया और उसके साथ रेप किया.
इसे भी पढें : सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में सभी 22 आरोपी बरी, कोर्ट ने कहा- सबूत और गवाह संतोषजनक नहीं
फैसले में जज शर्मा ने आसाराम और दो अन्य सहयोगियों को सजा सुनाते हुए कहा है कि आसाराम ने 'लड़की के साथ रेप किया, उसके रोने और उसकी अपील को दरकिनार किया कि वो पाप कर रहे हैं जबकि वो उन्हें भगवान मानती थी.' आसाराम के वकील ने उम्प को देखते हुए सजा में ढील देने की मांग की लेकिन जज ने कहा, 'दोषी के लिये कोई भी बेवजह की छूट देने से आपराधिक न्याय प्रक्रिया को कमज़ोर करेगा और इसमें आम लोगों के विश्वास को कमज़ोर करेगा.'
जज ने कहा, 'अगर न्याय व्यवस्था पीड़ित को सरक्षा नहीं दे सकेगी तो वो खुद आपराझिक न्याय व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिये आगे बढ़ेगा या बढ़ेगी. ऐसे में ये अदालत की जिम्मेदारी है कि वो अपराध की गंभीरता को देखते हुए दोषी को सजा दे.'
Source : News Nation Bureau
आसाराम को सजा सुनाते वक्त जज ने की थी ये टिप्पणियां
नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीड़न प्रकरण में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम के सहयोगी शरदचन्द्र को राजस्थान हाईकोर्ट से शुक्रवार को बड़ी राहत मिल गई.
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नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीड़न प्रकरण में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम के सहयोगी शरदचन्द्र को राजस्थान हाईकोर्ट से शुक्रवार को बड़ी राहत मिल गई. हाईकोर्ट ने इस मामले में शरदचन्द्र की बीस साल की सजा पर स्थगन आदेश जारी किया. इस मामले में एक अन्य आरोपी शिल्पी की बीस साल की सजा पर हाईकोर्ट पहले ही स्थगन प्रदान कर चुका है. बता दें रेप के आरोप में जेल में बंद कथित स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम पर जोधपुर की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कोर्ट (SC/ST act) अपना फैसला सुनाया है. आसाराम समेत तीन आरोपियों को दोषी करार दिया गया है, जबकि दो अन्य आरोपी बरी हो गए हैं.
उम्रकैद की सजा मिली है आसाराम को
बता दें कि पाक्सो की विशेष अदालत ने आसाराम को नाबालिग लड़की के साथ किए गए रेप मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है. फैसला सुनाते हुए जज ने कहा था कि उन्होंने संतों को बदनाम किया है और लोगों के विश्वास को तोड़ा है. स्पेशल जज मधुसूदन शर्मा ने अपने 453 पन्नों के फैसले में नाराज़गी जताते हुए कहा कि इस गंभीर हरकत से 'न सिर्फ लोगों का विश्वास तोड़ा है बल्कि लोगों के बीच संतों के सम्मान को भी खत्म किया है.'
सजा सुनाते हुए ये कहा था जज ने
जज ने कहा, 'आरोपी असाराम संत कहे जाते हैं. उनके देश ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे लाखों श्रद्धालु हैं जो उनके अनुयायी रहे हैं. उनके 400 से अधिक आश्रम हैं... मे रे विचार से आऱोपी ने घिनौना और जघन्य कृत्य करके अपने अनुयायियों का विश्वास और संतों के सम्मान को खत्म किया है.'
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उन्होंने पीड़िता के पिता का उदाहरण देते हुए कहा कि पीड़िता के पिता ने अहम भूमिका निभाई थी उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में इनका आश्रम बनवाने में. जज ने फैसले में कहा है कि पीड़िता के पिता के मन में असाराम के लिये अगाध श्रद्धा थी और उन्होंने मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा स्थित आसाराम के गुरुकुल में अपने दोनों बेटों और बेटी को पढ़ने के लिये भेजा. उन्होंने कहा है कि उसके बाद भी आरोपी ने बुरे साये से मुक्ति दिलाने के नाम पर उसकी बेटी को आश्रम में जाप के लिये बुलाया और उसके साथ रेप किया.
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फैसले में जज शर्मा ने आसाराम और दो अन्य सहयोगियों को सजा सुनाते हुए कहा है कि आसाराम ने 'लड़की के साथ रेप किया, उसके रोने और उसकी अपील को दरकिनार किया कि वो पाप कर रहे हैं जबकि वो उन्हें भगवान मानती थी.' आसाराम के वकील ने उम्प को देखते हुए सजा में ढील देने की मांग की लेकिन जज ने कहा, 'दोषी के लिये कोई भी बेवजह की छूट देने से आपराधिक न्याय प्रक्रिया को कमज़ोर करेगा और इसमें आम लोगों के विश्वास को कमज़ोर करेगा.'
जज ने कहा, 'अगर न्याय व्यवस्था पीड़ित को सरक्षा नहीं दे सकेगी तो वो खुद आपराझिक न्याय व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिये आगे बढ़ेगा या बढ़ेगी. ऐसे में ये अदालत की जिम्मेदारी है कि वो अपराध की गंभीरता को देखते हुए दोषी को सजा दे.'
Source : News Nation Bureau