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राजस्थान में पायलट की उड़ान रोकने की जुगत में गहलोत, बदलाव की अटकलें

कांग्रेस को तीनों उम्मीदवारों को राज्य सभा में भेजने के लिए निर्दलीय विधायकों की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में सूबे के 13 निर्दलीय विधायकों में से 10 ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवारों से मुलाकात की.

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Nihar Saxena
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Ashok Gehlot

राज्यसभा चुनाव को हथियार बना गहलोत नई जुगत में.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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उदयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर चिराग तले अंधेरा वाली कहावत को भी चरितार्थ कर रहा है. राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट की अंतर्कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. कांग्रेस आलाकमान इस पर सिर्फ पेशानी पर बल लिए बैठा है. अब अशोक गहलोत राज्यसभा चुनाव के बाद सचिन पायलट को सत्ता की कमान सौंपे जाने की अटकलों के बीच अपनी कुर्सी बचाने की जुगत में जुट गए हैं. इसके लिए वह राज्यसभा चुनाव को माध्यम बना रहे हैं. गौरतलब है कि कांग्रेस के स्थानीयय नेता राज्यसभा में बाहरी उम्मीदवार उतारने को लेकर मुखर हैं. इसके अलावा सुभाष चंद्रा के भी मैदान में आ डटने से क्रॉस वोटिंग का खतरा बढ़ गया है. 

गहलोत से मिले निर्दलीय विधायक
गौरतलब है कि गणित के मुताबिक कांग्रेस को तीनों उम्मीदवारों को राज्य सभा में भेजने के लिए निर्दलीय विधायकों की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में सूबे के 13 निर्दलीय विधायकों में से 10 ने मंगलवार रात मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवारों से मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान राजस्थान में 10 जून को होने जा रहे राज्यसभा चुनावों पर चर्चा हुई. मुलाकात के दौरान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार मुकुल वासनिक, प्रमोद तिवारी और रणदीप सुरजेवाला मौजूद रहे.

सुभाष चंद्रा को समर्थन दे बीजेपी ने चला दांव
कांग्रेस ने तीन उम्मीदवार चुनाव में उतारे हैं और भाजपा ने एक उम्मीदवार को चुनाव में उतारा है जबकि भाजपा ने हरियाणा के राज्यसभा सांसद और मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा का समर्थन किया है. सुभाष चंद्रा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया है. कांग्रेस को तीन सीटों पर जीत के लिए निर्दलीय विधायकों और अन्य दलों के विधायकों के समर्थन की उम्मीद है. इस बीच ऐसी अटकलें तेज हो गई हैं कि राजस्थान में राज्यसभा चुनाव के बाद बदलाव होने जा रहा है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि संभावित बदलाव संगठन और सरकार दोनों स्तर पर किया जा सकता है. ऐसे में गहलोत राज्यसभा चुनाव का गणित साधकर एकबार फिर अपनी कुर्सी को बचाने का मजबूत दावा ठोकने की तैयारी में हैं.

HIGHLIGHTS

  • राज्यसभा चुनाव बाद सूबे की कमान में बदलाव के संकेत
  • संगठन और नेतृत्व में बदलाव के मिल रहे हैं संकेत
  • गहलोत ने पायलट को रोकने के लिए चली नई चाल
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