राजस्थान में पुरातत्व विभाग की जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किए जाने का मामला सामने आया है. यहां नाहरगढ़ फोर्ट के पास समुदाय विशेष के लोगों ने कब्जा करने का प्रयास किया. दरअसल, नाहरगढ़ किले के पीछे प्राचीन बुर्ज पर पड़ी बुरी नजर है. बताया जा रहा है कि कब्जा करने की नियत से धार्मिक स्थान बनाने की कोशिश की जा रही है, जबकि वर्षों से मौके पर कोई धार्मिक स्थान नहीं है. लॉकडाउन का फायदा उठाकर कब्जा करने की कोशिश किया जा रहा था. पुरातत्व विभाग के कर्मचारी और अधिकारी मौके पर पहुंचने पर बदमाशों ने पुरातत्व विभाग के कर्मचारियों से की मारपीट की कोशिश.
वहीं, सूचना मिलने पर पुलिस प्रशासन नाहरगढ़ थाना और शास्त्री नगर थाना पुलिस मौके पर पहुंची. दोनों थाना इलाके की सीमा आपस में टच है. दोनों थानों की पुलिस सीमा विवाद में उलझी गई. नाहरगढ़ पुलिस ने शास्त्रीनगर का इलाका बताया और शास्त्री नगर ने नाहरगढ़ इलाका बताया. वहीं, पुरातत्व विभाग के कर्मचारी परेशान हैं और पूछ रहे हैं कौन कौन करेगा कार्रवाई?
जानिए नाहरगढ़ किला का इतिहास
नाहरगढ़ का किला जयपुर को घेरे हुए अरावली पर्वतमाला के ऊपर बना हुआ है. आरावली की पर्वत श्रृंखला के छोर पर आमेर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस किले को सवाई राजा जयसिंह द्वितीय ने सन १७३४ में बनवाया था. यहाँ एक किंवदंती है कि कोई एक नाहर सिंह नामके राजपूत की प्रेतात्मा वहां भटका करती थी. किले के निर्माण में व्यावधान भी उपस्थित किया करती थी. अतः तांत्रिकों से सलाह ली गयी और उस किले को उस प्रेतात्मा के नाम पर नाहरगढ़ रखने से प्रेतबाधा दूर हो गयी थी.[1]
19 वीं शताब्दी में सवाई राम सिंह और सवाई माधो सिंह के द्वारा भी किले के अन्दर भवनों का निर्माण कराया गया था जिनकी हालत ठीक ठाक है जब कि पुराने निर्माण जीर्ण शीर्ण हो चले हैं. यहाँ के राजा सवाई राम सिंह के नौ रानियों के लिए अलग अलग आवास खंड बनवाए गए हैं जो सबसे सुन्दर भी हैं. इनमे शौच आदि के लिए आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था की गयी थी. किले के पश्चिम भाग में “पड़ाव” नामका एक रेस्तरां भी है जहाँ खान पान की पूरी व्यवस्र्था है. यहाँ से सूर्यास्त बहुत ही सुन्दर दिखता है.