ब्रह्मा मंदिर एक्सक्लुसिव वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल, अस्थाई प्रबन्ध कमेटी को दिया प्रमाण पत्र

पुष्कर स्थित विश्वविख्यात जगतपिता ब्रह्मा मंदिर ( Brahma temple in Pushkar ) के नाम एक और कीर्तिमान जुड़ गया है. सोमवार को मंदिर का नाम एक्सक्लूसिव वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया

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Mohit Sharma
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Brahma temple in Pushkar

Brahma temple in Pushkar( Photo Credit : FILE PIC)

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पुष्कर स्थित विश्वविख्यात जगतपिता ब्रह्मा मंदिर ( Brahma temple in Pushkar ) के नाम एक और कीर्तिमान जुड़ गया है. सोमवार को मंदिर का नाम एक्सक्लूसिव वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया. इसके साथ ही ब्रह्मा मंदिर को अब एक विशेष पहचान भी मिल गई. अब धार्मिक और ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर विश्व का प्राचीनतम एवं सर्वाधिक दर्शन किए जाने वाला मंदिर के रूप में अब जाना जाएगा. इस संबंध में आज एक्सक्लूसिव वर्ल्ड रिकॉर्ड संस्था की ओर से मंदिर को एक्सक्लूसिव वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किए जाने की विधिवत घोषणा की गई. मंदिर अस्थाई कमेटी के सचिव एवं उपखंड अधिकारी सुखाराम पिंडेल को संस्था के प्रतिनिधियों ने जगतपिता ब्रह्मा मंदिर में रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र भेट किया. इस दौरान अस्थाई प्रबंधन समिति द्वारा संस्था के सदस्यों का माला और शॉल पहना कर आभार जताया गया.

संस्था के ऑपरेशनल हेड पंकज खटवानी ने बताया कि  कि आज 16 मई को संस्था के प्रतिनिधियो ने ब्रह्मा मंदिर का नाम एक्ससीलुजीव वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किए जाने के साथ प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है. इसके पीछे संस्था का उद्देश्य ब्रह्मा मंदिर के गौरवशाली इतिहास को विश्व पटल तक पहुंचाना है. खटवानी ने इस कार्य मे सामाजिक कार्यकर्ता अरुण पाराशर के सहयोग और प्रेरणा की सराहना करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया. संस्था के राजस्थान हेड दीपक थवानी ने बताया कि संस्था ने ब्रह्मा मंदिर को विश्व का प्राचीनतम ओम सर्वाधिक दर्शन किए जाने वाला मंदिर माना है. मंदिर को विश्व पटल पर लोगों के ध्यान में लाने के उद्देश्य से संस्था ने ब्रह्मा मंदिर को इस रिकॉर्ड में दर्ज किया है . एसडीएम पिंडेल ने बताया कि प्रमाण पत्र मिलने से मंदिर और पुष्कर का गौरव बढ़ा है.

गौरतलब है कि ब्रह्मा मंदिर का पौराणिक काल के दौरान ऋषि व्यास के आश्रम पर विश्वामित्र द्वारा स्थापना की गई थी. आदि शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में मंदिर में ब्रह्मा मंदिर की पुनः प्राण प्रतिष्ठा करवाकर मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था । इसके बाद सवाई जयसिंह ने 1699-1743 ई. मैं मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया. आखिरी बार 1809 ईस्वी में आखिरी बार मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था.

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