देश के पहाड़ी इलाकों में पिछले दिनों हुई बर्फबारी का असर राजस्थान में देखने को मिल रहा है. कड़ाके की सर्दी ने मैदानी इलाकों को ठिठुरा दिया है. करीब 2 सप्ताह से दिन हर सुबह कोहरे की चादर में लिपटकर आ रही है. इसी के साथ सर्दी भी दिन ब दिन बढ़ गई है. यह सर्दी पूरे राजस्थान को ठिठुरा रही है. अब पर्यटन नगरी में पर्यटकों ने कहना शुरू कर दिया है कि हम तो जयपुर में हैं, मगर एहसास शिमला जैसा हो रहा है. अल्बर्ट हाल पर पर्यटकों में शीतलहर की पीड़ा को बयां की.
बता दें कि पर्यटन नगरी जयपुर सहित राजस्थान में पर्यटन के लिहाज से यह पीक सीजन होता है. गुलाबी ठंड और यहां के पर्यटक स्थल देश दुनिया के पर्यटकों को लुभाते हैं. 31 दिसंबर के क्रेज के चलते इन दिनों गुलाबी नगरी पर्यटकों से गुलजार है. टूरिज्म के कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि शीतलहर ने पर्यटकों को ठिठुरा दिया है जिसका असर जयपुर के नाइट टूरिज्म पर भी असर पड़ रहा है.
हालत यह है कि सुबह और शाम के समय गलन के अहसास ने क्षेत्रीय बाशिन्दों को बुरी तरह झकझोर दिया है. दोपहर के समय सूर्यदेव की रश्मियां तन को राहत तो दे रही है, लेकिन सर्दी से राहत नहीं मिल पा रही है. सुबह और शाम के समय लोग अलाव का सहारा लेकर गलन से राहत पाने का जतन कर रहे हैं. फिर भी सर्द हवा तन में नश्तर सी चुभ रही है. प्रदेश में अलवर, पिलानी, सीकर, माउंट आबू, बीकानेर और चूरू जिलों की रातें सबसे सर्द हो रही हैं. श्रीगंगानगर व बीकानेर में तो लोगों को दिन में भी तेज सर्दी आराम नहीं दे रही है. यहां अधिकतम तापमान प्रदेश में सबसे कम है.
प्रदेश के आधा दर्जन जिलों में रात का तापमान जमाव बिन्दु से ऊपर तो आ गया है, लेकिन यहां लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है. हालत यह है कि आधा दर्जन जिलों में न्यूनतम तापमान में सुधार के बावजूद लोगों को तेज सर्दी परेशान किए हुए है. बता दें कि न्यू इयर मनाने कई पर्यटक राजस्थान के अलग अलग शहरों में पहुंच रहे हैं. सैलानी प्रदेश के एकमात्र पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू में भी पहुंच रहे हैं और कड़ाके की सर्दी का सामना करना पड़ रहा है. माउंट आबू में बुधवार को लगातार 15 वें दिन भी सवेरे जगह-जगह ओस की बूंदें बर्फ बनी मिली थी. कमोबेश यही हालात सीकर में है. वहीं जयपुर में सर्दी के तेवर बरकरार हैं. वहीं रात को भी पर्यटकों की आवाजाही से आबाद रहने वाले हवामहल, जलमहल पर इक्का दुक्का ही पर्यटक नजर आ रहे हैं.
Source : Lal Singh Faujdar