डीजीपी पुलिस, डीजी एसीबी, एडीजी एसीबी, आईएएस कुमार पाल, आईएएस वैभव गलरिया के ओएसडी. ये नाम सुनकर चौंकिए मत. यह लिस्ट है राजस्थान के उन पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की, जो साइबर ठगों के निशाने पर है. कुछ ठगी का शिकार हो चुके हैं तो कुछ अधिकारियों को ठगने का प्रयास किया गया. राजस्थान में साइबर ठगी का जाल लगातार फैलता जा रहा है. साइबर ठगों के हौसले इस कदर बुलंद है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साइबर ठग अब राजस्थान में छोटी मछलियों के साथ ही बड़ी मछलियों को भी अपने जाल में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं. यही नहीं एक आईएएस को तो ठगों ने जाल में फंसाकर ₹70000 की ठगी कर ली. वहीं, एक आईएएस के ओएसडी को ठगी का शिकार बना लिया गया.
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यह नाम चर्चाओं में इसलिए आ गए है. क्योंकि ये पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी हैं आम आदमी की बात छोड़िए पुलिस और प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी भी ठगी का शिकार हो रहे हैं. अगर थानाधिकारी या पुलिसकर्मी की बात करें तो लिस्ट बहुत लंबी है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि साइबर ठगों के हौसले कितने बुलंद है. उनका जाल किस कदर फैलता जा रहा है. क्या आम, क्या खास सभी लोगों को टारगेट कर हर दिन लाखों रुपए की ठगी कर रहे हैं. इन दिनों व्हाट्सएप पर बड़े अधिकारियों की डीपी लगा कर ठगी का अलग ही तरीका इजाद किया जा रही है.
जब पुलिस अधिकारियों को साइबर ठगों ने निशान बनाया तो पुलिस ने विभाग ने आनन-फानन में एसीपी मोहित चौधरी के नेतृत्व में 10 पुलिस अधिकारियों की टीम बना दी है. मगर अभी तक ये साइबर ठक पुलिस की पकड़ से बाहर है.
Source : Lal Singh Fauzdar