राजस्थान में इस बार दीपावली अंधेरे में डूब सकती है. आंकड़ों की बात करें तो ग्यारह हजार यूनिट बंद होने की कगार पर है. सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट की 4 यूनिट्स, कोटा थर्मल पावर प्लांट की 3 यूनिट्स, राजवेस्ट की 2 यूनिट्स, छबड़ा थर्मल पावर प्लांट की 1 यूनिट और रामगढ़ की 1 यूनिट ठप है. भाजपा ने इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है. बीजेपी का कहना है कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने समय रहते इस समस्या पर ध्यान ही नहीं दिया.
नवरात्र के बाद दशहरा का पर्व और दीपावली का सीजन शुरू हो जाएगा ऐसे में बिजली की डिमांड बढ़ जाएगी. माना जा रहा है कि इस त्योहारी सीजन मेंडिमांड 18000 मेगावाट तक पहुंच सकती है. कोयला सप्लाई और बिजली प्रोडक्शन के हालात नहीं सुधरे, तो प्रदेश के लोगों को बड़े पावर कट का सामना करना पड़ सकता है. पहले भी बिजली संकट की खबरें चली थी लेकिन फिर भी बिजली विभाग ने ध्यान नहीं दिया इसके चलते लापरवाही की वजह से इस बार दीपावली अंधेरे में डूब सकती है.
मेंटिनेंस के नाम पर बिजली कटौती
दिवाली मेंटिनेंस के नाम पर 4-4 घंटे रोजाना बिजली कटौती का दौर जारी. शहरी इलाकों में यह बिजली कटौती कम है लेकिन बताया जा रहा है कि ग्रामीण इलाकों में रोजाना घंटों तक बिजली कटौती हो रही है. राजस्थान के थर्मल बिजली घरों में औसत 4 दिन का ही कोयला स्टॉक बचा है. जबकि केंद्र की गाइडलाइंस के मुताबिक 26 दिन का होना चाहिए. प्रदेश के बिजली घरों में कोयले की कमी लगातार पिछले 1 साल से बनी हुई है.
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कोल खान में कोयला हुआ खत्म, कैसे रोशन होगा राजस्थान?
छत्तीसगढ़ में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (RVUNL) को अलॉट कोल माइंस- पारसा ईस्ट एंड कैंटे बासन कोल ब्लॉक में कोयला खत्म हो गया है. इस कारण 9 रैक यानी 36000 मीट्रिक टन कोयला आना बंद हो चुका है. कोयले की सप्लाई में हुई इस कमी के कारण करीब 2000 मेगावाट बिजली प्रोडक्शन प्रभावित हो रहा है. ट्रेन की एक रैक में 4000 मीट्रिक टन कोयला आता है. प्रदेश के सभी 6 थर्मल पावर प्लांट्स में केवल 4 दिन का ही औसत कोयला स्टॉक बचा है. यह कोयला फ्यूल के तौर पर बिजली घरों की पावर यूनिट्स को चलाने के काम आता है. केंद्र की गाइडलाइंस है कि 26 दिन का कोयला स्टॉक होना चाहिए. लेकिन पिछले 1 साल से ज्यादा वक्त से राजस्थान में केंद्रीय गाइडलाइंस का भी उल्लंघन हो रहा है.
27 की वजह महज 14 रैक कोयला
राजस्थान के सभी पावर प्लांट्स को फुल कैपिसिटी में चलाने के लिए 37 रैक कोयले की रोजाना सप्लाई चाहिए. पहले 20 रैक कोयला राजस्थान को रोजाना औसत मिल रहा था. जो घटकर अब 14 रैक रह गया है. इसके अलावा प्रदेश के पावर प्लांट्स में कोयले का स्टॉक भी मेंटेन करने की जरूरत है.
HIGHLIGHTS
- अंधेरे में डूब जाएगा राजस्थान
- राज्य सरकार ने नहीं की बाहरी बिजली की खरीद
- कांग्रेस-बीजेपी डाल रहे एक दूसरे पर जिम्मेदारी
Source : Lal Singh Fauzdar