उत्तर भारत में इन दिनों आसमान से आग बरस रही है. कई राज्यों में तापमान 45 के पार पहुंच गया है. राजस्थान में भी प्रचंड गर्मी का दौर जारी है.फलौदी, बाड़मेर, जैसलमेर और जयपुर का तापमान अब असहनीय हो रहा है. लोग हीटस्ट्रोक का शिकार हो रहे है. लेकिन जयपुर में मनोचिकित्सकों की ओपीडी में ऐसे लोग भी पहुँच रहे है जिनका तेज गर्मी से भेजा फ्राई हो रहा है. राजस्थान की भीषण गर्मी लोगों की फिजीकल हैल्थ के साथ मेंटल हैल्थ पर भी असर डाल रही है. देशभर में राजस्थान समेत दूसरे राज्यों में हीटवेव के असर से लोगों की फिजिकल हैल्थ के साथ मेंटल हैल्थ खराब हो रही है. खासतौर पर जो व्यक्ति पहले से किसी मेंटल दिक्क़त से जूझ रहा है उसके लिए भीषण गर्मी बेहद खतरनाक साबित हो रही है.हीट एंगजाईटी की जद में आकर लोग बहकी बहकी सी बात करने लगते है और उनका व्यवहार चिढ़चिढ़ा हो रहा है और लोगों की नींद का साइकिल खराब हो रहा है.
दिमाग में चलने लगती हैं कई उलझने
हमारे शरीर के टेम्प्रेचर को कंट्रोल रखने और पसीना निकालकर बॉडी को ठंडा करने में दिमाग का अहम रोल होता है, लेकिन तापमान बहुत ज्यादा बढ़ने की स्थिति में दिमाग के चारों तरफ मौजूद सुरक्षा वाली लेयर ब्लड-ब्रेन बैरियर टूटना शुरू हो जाता है. जिसके चलते दिमाग में प्रोटीन और आयरन जैसे पदार्थ जमा होने लग जाता है. इसके चलते ब्रेन में सूजन आना शुरू हो सकता है. इसके अलावा रक्तस्राव होने का भी खतरा बढ़ने की आशंका रहती है. दिमाग में ज्यादा प्रोटीन जमा होने की स्थिति में दिमाग़ की कोशिकाएं मरने लगती है जो किसी भी इंसान के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. एक्सपर्ट की मानें तो हीटवेव की वजह से दिमाग में कई तरह की उलझने चलने लगती है. एंजाइटी के चलते लोग कुछ से कुछ बोलने लगते हैं.
मल्टीऑर्गन फेलियर होने का भी खतरा
तेज गर्मी के चलते हर साल सैंकड़ो की संख्या में लोगों की मौत हो जाती है. तेज गर्मी में हीटस्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. डिहाईड्रेशन या हीट स्ट्रोक होने पर इंसान के शरीर का तापमान 103 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर चला जाता है.जिसके चलते इंसान को हीटस्ट्रोक, मल्टीऑर्गन फेलियर के साथ जान का जोखिम हो जाता है.
Source : News Nation Bureau