राजस्थान के बीकानेर में मौजूद एक ऐसी इमारत, जो नेचुरल लाइट से रौशन होती है. इसके हर हिस्से में पहुंचती है सूरज की रोशनी. स्विट्जरलैंड के ग्रीन हाउस की तर्ज पर इसे डिजाइन किया गया है. नागौर रोड नेशनल हाइवे पर सिलवा गांव से गुजरते हुए, जिस किसी की नजर, गुलाबी रंग की इस इमारत पर पड़ती है, वो इसकी तारीफ किये बिना नहीं रह सकता. पिता की याद में उनके तीन बेटों की तरफ से तैयार कराई गई ये इमारत आज न सिर्फ पदमा राम कुलरिया के संघर्ष की कहानी को बयां करती है, बल्कि सैकड़ों बच्चों के उज्जव भविष्य का जरिया भी बन रही है..पदमा राम, इलाके में गोसेवक के तौर पर मशहूर थे, उनके निधन के बाद उनके तीन बेटों, कानाराम-शंकर-धर्मचंद कुलरिया ने उनकी याद, सहेजने के लिए, ऐसे कैम्पस को तैयार करने की सोची, जिसमें उनके पिता के संघर्ष की झलक हो... साथ ही आस-पास के बच्चों के लिए फ्री एजुकेशन की सुविधा हो. इसी मिशन का नतीजा है पद्म स्मारक..
बच्चों को हर तरह की दी जाती शिक्षा
इस पद्म स्मारक में बच्चों को तकनीकी शिक्षा से लेकर परंपरागत और आधुनिक शिक्षा देने की भी सुविधा है. 10 कंप्यूटर सिस्टम से लैस इस इमारत में हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है. ताकि बच्चों को इंटरनेट चलाने में कोई परेशानी ना हो. इसके अलावा हजार किताबों वाली लाइब्रेरी भी यहां बच्चों के लिए निशुल्क उपलब्ध है. जो बच्चे यहां आकर पढ़ना चाहते हैं उनकी सुरक्षा के लिए पूरी व्यवस्था की गई है. ये पूरा कैंपस सेंट्रल एयर कंडीशन से लैस है.
हर समय बिल्डिंग में रहती है रोशनी
इस बिल्डिंग का निर्माण कुछ ऐसे किया गया है कि इसमें कृत्रिम लाइट की जरूरत नहीं है, बल्कि कुदरती रोशनी से ही यह इमारत प्रकाशमान रहती है. लाइब्रेरी के चारों ओर बनी दीवार पर जोधपुरी पत्थर से बनी जालियां हैं, जिनमें से होकर रोशनी सीधे यहां की लाइब्रेरी में पहुंचती है. अंदर की तरफ दीवार के पास कांच की लेयर लगाई है, जो आंधी तूफान में हिफाजत करती है... इमारत की खास डिजाइन में ऑस्ट्रलियन घास का इस्तेमाल किया गया है जो तपती गर्मी से हिफाजत करती है.. इतना ही नहीं पानी स्टॉक करने के लिए इस पद्म स्मारक में अंडरग्राउंड स्टोरेज टैंक भी है, जिसमें 7 लाख लीटर बारिश का पानी स्टोर किया जा सकता है.
Source : News Nation Bureau