कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की. जिसमें राहुल गांधी को फिर से पार्टी की कमान सौंपे जाने की मांग की गई. हालांकि कुछ नेताओं ने चुनाव और पार्टी के भीतर नेताओं की जवाबदेही सुनिश्चित करने पर जोर दिया. सोनिया गांधी के साथ हुई बैठक को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया से बातचीत की और कई सवालों का जवाब दिये.
सवाल- आज बातचीत हुई, कई तरह के जो कयास थे वो खत्म हो गए?
जवाब- देखिए कयास मीडिया में लगते ही रहते हैं, वैसे वास्तविकता दूसरी होती है. राजनीति में जो दिखता है वो होता नहीं है, जो होता है वो दिखता नहीं है. ऐसा कुछ नहीं था, परंतु मीडिया में इतना बवाल खड़ा हो गया कई ग्रुप G-23, ऐसी कोई बात थी नहीं. सब लोग जब राहुल गांधी जी को- सोनिया जी को नेता मानते हैं, तो फिर झगड़ा किस बात का होता है? पर मीडिया में इतना ज्यादा आ गया कि पत्र लीक क्यों हो गया? अब लीक तो कई बार हो ही जाता है, तो ऐसा कुछ नहीं था. बहुत ही अच्छे माहौल में बातचीत हुई, सबकी भावना वही थी कि राहुल जी को नेतृत्व लेना चाहिए और हम सब मिलकर मुकाबला करें उन ताकतों का जो ताकतें देश को बर्बाद कर रही हैं, जो ताकतें डेमोक्रेसी की हत्या कर रही हैं, जो ताकतें इनकम टैक्स-ईडी-सीबीआई-ज्यूडिशियरी-इलेक्शन कमीशन सबका मिसयूज कर रही हैं. उन ताकतों का मुकाबला तभी होगा जब तमाम विपक्षी पार्टियां देश के अंदर उठ खड़ी होंगी. ये लड़ाई विचारधारा की लड़ाई है, कोई व्यक्तिगत लड़ाई किसी से नहीं है और उसी लड़ाई को लड़ना चाहते हैं. कांग्रेस में दमखम है, पूरे मुल्क में कांग्रेस गांव-गांव में फैली हुई है, जिनको भ्रम है कि दिल्ली में राजधानी में जो अफवाहें चलती हैं, मीडिया उससे गाइड होता है, राष्ट्रीय मीडिया भी अधिकांश उससे गाइड होता है जो दिल्ली में अफवाहें चलती रहती हैं. वास्तविकता में कांग्रेस बहुत मजबूत है राज्यों के अंदर, जिलों के अंदर, ब्लॉकों के अंदर और आप देखेंगे कि आने वाले वक्त के अंदर एकजुट होकर तमाम लोग जो प्रोग्राम-पॉलिसी और प्रिंसिपल कांग्रेस के हैं, उनको सामने रखते हुए ही अभियान चलेंगे, काम हो रहे हैं, अभी भी हो रहे हैं, तो कोई दिक्कत नहीं आएगी.
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सवाल- राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने को लेकर कोई बात हुई?
जवाब- ये तो देखिए प्रोसेस अलग होता है, पर जहां सवाल आज की बातचीत की है. कांग्रेस के वो तमाम नेता मौजूद थे जिन्होंने कांग्रेस को 40-50 साल दिए थे. वहां पर सबने एक ही स्वर में कहा कि फासिस्टी ताकतों से, जो हत्या कर रहे हैं डेमोक्रेसी की उन ताकतों से लड़ना है. 70 साल में इंदिरा गांधी शहीद हो गईं. प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए जिसने बांग्लादेश आजाद करवा दिया. पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए.उस इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई, लेकिन खालिस्तान बनने नहीं दिया. राजीव गांधी की हत्या हो गई. ये त्याग-बलिदान कांग्रेस ने किये हैं. उसी कारण से 70 साल में देश एक व अखंड रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि अब ताकतें जो बात कर रही हैं, वो देश को कमजोर करने वाली बातें हैं. हिंदुत्व के नाम पर धर्म के नाम पर राजनीति हो रही है. डेमोक्रेसी में जाति-धर्म-वर्ग से काम नहीं चलता है. डेमोक्रेसी प्यार-मोहब्बत का सिलसिला है, प्रक्रिया है. राजनीति की जिसमें सभी धर्म-सभी जाति-सभी वर्गों के लोग प्यार से-मोहब्बत से-भाईचारे से रहें, उसका नाम डेमोक्रेसी है, ये उसको तोड़ रहे हैं और हम तोड़ने नहीं देंगे.
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सवाल- किसान वाले मुद्दे पर बात हुई आपकी?
जवाब- किसानों का मुद्दा तो छाया हुआ है. सब एक स्वर में हैं कि किसानों के साथ न्याय होना चाहिए, किसानों के साथ में अन्याय हो रहा है. भरी ठंड के अंदर बैठे हुए हैं और ये इतने संवेदनहीन लोग हैं कि संवेदनशीलता नाम की चीज नहीं है. वरना तमाम लोग मिलकर किसानों से बातचीत करते, रास्ता निकालते और ठंड के अंदर जो बैठे हुए हैं. कितने लोग मारे गए कोई सोच नहीं सकता है. आंकड़े अलग-अलग आते हैं. मीडिया के अंदर, तो हम भी नहीं कह सकते कि कितने लोग मारे गए हैं. सरकार को चाहिए, प्रधानमंत्री जी को खुद को चाहिए बड़ा दिल रखकर वो, प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाएं. अगर वो कानून वापस लेते हैं, डेमोक्रेसी में जो मांग करती है जनता, उनका मान-सम्मान बढ़ता है तो डेमोक्रेसी मजबूत होती है. इनको अपना अहम-घमंड छोड़ना चाहिए.
Source : News Nation Bureau