गहलोत सरकार 31 जुलाई से ही चाहती है विधानसभा सत्र, संशोधित प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा

राजस्थान सरकार ने विधानसभा का सत्र 31 जुलाई से आहूत करने के लिए संशोधित प्रस्ताव मंगलवार को राज्यपाल कलराज मिश्र को भेजा. मंत्रिमंडल की बैठक में संशोधित प्रस्ताव पर विचार-विमर्श के बाद इसे राजभवन भेजा गया है.

author-image
Deepak Pandey
एडिट
New Update
kalraj mishra ashok gehlot

राज्यपाल कलराज मिश्र और सीएम अशोक गहलोत( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने विधानसभा का सत्र 31 जुलाई से आहूत करने के लिए संशोधित प्रस्ताव मंगलवार को राज्यपाल कलराज मिश्र को भेजा. मंत्रिमंडल की बैठक में संशोधित प्रस्ताव पर विचार-विमर्श के बाद इसे राजभवन भेजा गया है. राजभवन के सूत्रों के अनुसार, फाइल राजभवन पहुंच गई है. इससे पहले आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि मंत्रिमंडल से मंजूरी के बाद संशोधित पत्रावली आज राजभवन भेजी गई.

यह भी पढ़ेंःकानपुर में अपहरण के बाद एक और हत्या, अखिलेश यादव ने कहा-प्रदेश अपराध के जाल में फंस गया है

सूत्रों के अनुसार सरकार ने अपने संशोधित प्रस्ताव में भी यह उल्लेख नहीं किया है कि वह विधानसभा सत्र में विश्वासमत हासिल करना चाहती है या नहीं. हालांकि, इसमें 31 जुलाई से सत्र आहूत करने का प्रस्ताव है. राज्य सरकार ने तीसरी बार यह प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा है. इससे पहले दो बार राजभवन कुछ बिंदुओं के साथ प्रस्ताव सरकार को लौटा चुका है.

वहीं, राजभवन के सूत्रों ने मंगलवार रात बताया कि राज्य सरकार की ओर से भेजी गयी पत्रावली राजभवन सचिवालय को मिल गई है. इससे पहले राजस्थान मंत्रिमंडल की बैठक मंगलवार को यहां हुई जिसमें विधानसभा सत्र बुलाने के संशोधित प्रस्ताव पर राज्यपाल द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर चर्चा की गई. बैठक के बाद परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि सरकार 31 जुलाई से सत्र चाहती है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ''हम 31 जुलाई से सत्र चाहते हैं. जो पहले प्रस्ताव था, वह हमारा अधिकार है, कानूनी अधिकार है. उसी को हम वापस भेज रहे हैं.

उन्होंने कहा कि अब अगर आप यदि तानाशही पर आ जाएं, आप अगर तय कर लें कि हम जो संविधान में तय है, उसे मानेंगे ही नहीं तो देश ऐसे चलेगा क्या? खाचरियावास ने कहा कि ... हमें पूरी उम्मीद है कि राज्यपाल महोदय देश के संविधान का सम्मान करते हुए राजस्थान की गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल के इस प्रस्ताव को मंजूर करेंगे. राज्यपाल द्वारा उठाए गए बिंदुओं के बारे में खाचरियावास ने कहा कि हालांकि कानूनन उनको सवाल करने का अधिकार नहीं, फिर भी उनका सम्मान रखते हुए उनके बिंदुओं का बहुत अच्छा जवाब दिया गया है. अब राज्यपाल को तय करना है कि वह राजस्थान, हर राजस्थानी की भावना को समझें.

यह भी पढ़ेंः नौकरी छीन ली, पूंजी हड़प ली, बीमारी भी नहीं रोक पाए...लेकिन PM मोदी शानदार सपने दिखाते हैं, बोले राहुल गांधी

मंत्री ने कहा कि हम राज्यपाल से टकराव नहीं चाहते. हमारी राज्यपाल से कोई नाराजगी नहीं है. न ही हम दोनों में कोई प्रतिस्पर्धा है. राज्यपाल हमारे परिवार के मुखिया हैं. उन्होंने कहा कि राज्यपाल महोदय संविधान के अनुसार विधानसभा सत्र आहूत करने की अनुमति दें. यह हमारा अधिकार है। हम कोई टकराव नहीं चाहते. हम चाहते हैं कि राजस्थान की सरकार सुनिश्चित रहे, आगे बढ़े और जनता का काम करे.

खाचरियावास ने कहा कि राज्यपाल अगर यदि इस बार भी प्रस्ताव मंजूर नहीं करते हैं तो इसका आशय स्पष्ट है कि देश में संविधान नहीं है... भारत सरकार के नियुक्त किए गए राज्यपाल संविधान को ताक पर रखकर राजनीति कर रहे हैं. राज्यपाल द्वारा सत्र आहूत करने के लिए 21 दिन का नोटिस दिए जाने के सुझाव पर खाचरियावास ने कहा कि राज्यपाल महोदय ने कोई तारीख नहीं दी... उन्होंने तारीख नहीं दी कि 21 दिन बाद आप सत्र कर लो. वह तारीख घोषित करें. वह तारीख तो दें. 21 दिन की बातें हो रही हैं यहां पर... यहां घुमाइए मत, ये खेल चल रहा है-- फुटबाल बनने का, टालने का. अगर वह हमारी तारीख नहीं मानते तो अपनी तारीख तो दें. वह 21 दिन बाद की तारीख भेजेंगे तो उनकी पोल खुल जाएगी.

यह भी पढ़ेंः राम मंदिर भूमि पूजन के सीधे प्रसारण को लेकर सीपीआई ने जताया ऐतराज, मोदी सरकार से की ये मांग

खाचरियावास ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार और भाजपा, राजस्थान तथा हर राजस्थानी का अपमान कर रही हैं और वे राज्यपाल पर दबाव बनाना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा कांग्रेस के बागियों की गुलाम बनकर काम कर रही है. गहलोत समर्थक कोई भी विधायक टूटने वाला नहीं है.

cm-ashok-gehlot rajasthan-political-crisis Assembly Session Governor Kalraj Mishra
Advertisment
Advertisment
Advertisment