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इस बड़े खतरे से निपटने के लिए एक साथ आए भारत और पाकिस्‍तान

पाकिस्‍तान ने एक बार फिर भारत की चिंता बढ़ा दी है. इस बार आतंकी हमले से नहीं बल्‍कि पाकिस्‍तान से आने वाले टिड्डियों के दल से है.

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Drigraj Madheshia
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इस बड़े खतरे से निपटने के लिए एक साथ आए भारत और पाकिस्‍तान

भारत और पाकिस्‍तान के अधिकारी

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पाकिस्‍तान (Pakistan) ने एक बार फिर भारत की चिंता बढ़ा दी है. इस बार आतंकी हमले से नहीं बल्‍कि पाकिस्‍तान (Pakistan) से आने वाले टिड्डियों के दल से है. पाकिस्‍तान (Pakistan) में टिड्डी दल (Grasshoppers attack) के बेकाबू होने के बाद वहां हवाई जहाज से इसके रोकथाम के लिए दवाइयां छिड़की जा रही हैं. इसके कारण पाकिस्‍तान (Pakistan) से सटे राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में टिड्डियों के हमलों के कारण परेशानी बढ़ सकती है. बता दें कि पिछले महीने भी पाकिस्‍तान (Pakistan) की ओर से राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर में कई जगहों पर टिड्डी दल (Grasshoppers attack) पहुंचने की पुष्टि हुई थी. इससे निपटने के लिए भारत और पाकिस्‍तान (Pakistan) एक साथ खड़े नजर आ रहे हैं.

पाकिस्‍तान (Pakistan) के अधिकारियों ने बुधवार को हुई बैठक के दौरान बताया कि दस हजार हैक्टेयर में टिड्डी (locust) दल के खिलाफ कंट्रोल कार्यक्रम चला रखा है. इसके लिए पाकिस्‍तान (Pakistan) पीएम इमरान खान काफी गंभीर है. 3 दिन पहले ही पाकिस्‍तान (Pakistan) के केंद्रीय खाद्य सुरक्षा मंत्री को मीरपुर भेजा गया है.

टिड्डी दल (Grasshoppers attack) को लेकर संभवत यह पहला मौका था जो बैठक इतनी लंबी चली है. इस बैठक में भारत के वैज्ञानिकों के साथ ही तकनीकी की जुड़े लोगों ने भाग लिया. बताया जा रहा है कि पाकिस्‍तान (Pakistan) की टिड्डी सिंध प्रांत के थारपारकर से जिला थार मरुस्थल क्षेत्र में पहुंच चुकी है. 1993 के बाद यह सबसे बड़ा संकट माना जा रहा है.

टिड्डे की ख़ास बातें

  • टिड्डों की कुल 11 हज़ार प्रजातियां हैं
  • टिड्डे की पांच आँखें होती हैं , दो बड़ी आँखें और तीन छोटी आँखें होती हैं
  • टिड्डे के कान उनके सर वाले हिस्से में नहीं बल्कि पेट के हिस्से में होती है
  • टिड्डे की हर प्रजाति ख़ास तरह की आवाज़ निकालती हैं , दूसरे से अलग होते हैं
  • टिड्डे लम्बी छलांग भी लगा सकते हैं , और उड़ भी सकते हैं
  • टिड्डे की लम्बाई 1 -7 सेंटीमीटर तक हो सकती है
  • ये अपने लम्बाई से 20 गुना ज़्यादा छलांग लगा सकते हैं
  • टिड्डे हर साल करोड़ों का फसल बर्बाद कर देते हैं
  • अमेरिका में हर साल 1.5 अरब डालर कीमत की चारागाह का नुकसान कर देते हैं
  • पृथ्वी टिड्डों का अस्तित्व डायनासोर से भी पुराना है

टिड्डे का एक छोटा झुंड 35,000 लोगों जितना खाना खा जाता है

  • टिड्डे का झुंड एक दिन में 150 किमी तक हवा के साथ उड़ सकता है
  • टिड्डे का झुंड हर दिन ताजा खाना खाता है और व ह अपने वजन जितना खा सकता है
  •  एक छोटा झुंड एक दिन में लगभग 35,000 लोगों जितना खाना खाता है।
  • टिड्डे फसल चट करते समय उसमें लार्वा छोड़ देते हैं.
  • 7 से 12 दिन के भीतर लार्वा विकसित टिड्डे में बदल जाते हैं
  • टिड्डी दल के लाखों टिड्डे एक साथ खेत पर हमला करते हैं.
  • ये धान, गेंहू, मक्का और ज्वार की फसल को चट कर जाते हैं.
  • ये फसलें एशिया ,दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीका का मुख्य आहार हैं
  • कीटनाशक का छिड़काव इन टिड्डों के खिलाफ कारगर होता है.
  • छिड़काव से कीड़ों की कम संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है.
  • संख्या ज्यादा हुई तो नियंत्रण करना काफी मुश्किल होगा.
  • एक महीने में टिड्डों की टोली 1,000 किलोमीटर की यात्रा कर सकती है.

कहां से आते हैं टिड्डे - कहां चले जाते हैं

  •  टिड्डे वही होते हैं जहां का मौसम असंतुलित होता है
  •  ये झुंडों में उड़कर कई किलोमीटर , एक देश से दूसरे देश पहुँच जाते हैं
  • अक्सर ये गरम दिनों में ही झुंडों में उड़ा करती हैं
  • बारिश के दिनों और सर्द मौसम में में इनकी उड़ानें बंद रहती हैं
  • गर्मी के मौसम में टिड्डे अफ्रीका से भारत आते हैं
  • पतझड़ के मौसम में टिड्डे ईरान और अरब देश चले जाते हैं
  • ईरान अरब देशों से ये रूस , सिरिया, मिस्र और इजरायल की तरफ चले जाते हैं
  • इसके बाद इनमें से कुछ भारत और अफ्रीका लौट आते हें
  • यहां मानसून के मौसम में इनका प्रजनन होता है

जब टिड्डे के आतंक से डर गए थे अफ़्रीकी देश

  • टिड्डों ने 2016 में अफ़्रीकी देशों जाम्बिया, जिम्बाब्वे, दक्षिण अफ्रीका और घाना में बड़े पैमाने पर फसल बर्बाद कर दी थी
  • टिड्डों के आतंक पर काबू पाने के लिए तब 13 अफ़्रीकी देशों ने एक साथ इमरजेंसी मीटिंग बुलाई थी
  •  टिड्डों से ये देश इतने घबरा गए थे की , यूँ तक को दखल देकर एक कारगर योजना के लिए मीटिंग बुलानी पड़ी थी

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