राजस्थान में गुर्जर आंदोलन के बीच सरकार ने बुधवार को आरक्षण को लेकर तीन फैसले लिए. बुधवार को विधानसभा में गुर्जरों को 5% आरक्षण का बिल पास करा दिया गया. इसे देर रात राज्यपाल ने भी मंजूरी दे दी. 2006 से आरक्षण की लड़ाई लड़ रहे गुर्जरों को 5वीं बार आरक्षण मिला है. गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी बैसला ने कहा कि हमारे पास बिल की कॉपी गुरुवार तक पहुंचेगी. हम अध्ययन करेंगे और संघर्ष समिति से राय लेंगे और सरकार से गारंटी भी लेंगे कि यह कोर्ट में चैलेंज नहीं हो. तब तक गुर्जर सड़कें जाम रखेंगे और मलारना डूंगर में रेल ट्रैक रोककर बैठे रहेंगे.
गुर्जरों को आरक्षण तभी, जब केंद्र सरकार संविधान में संशोधन करके इसे नौवीं अनुसूची में शामिल कराए. चूंकि 16वीं संसद का आखिरी सत्र बुधवार को खत्म हो गया. अब या तो विशेष सत्र हो या नई सरकार के गठन के बाद ही इस पर कोई फैसला होगा.
पहली बार-
बता दें कि गुर्जरों को पहली बार आरक्षण बीजेपी सरकार नें साल 2008 में दिया था. इसमें गुर्जरों को 5% और सवर्णों को 14% आरक्षण दिया गया था, जो कि साल 2009 में लागू हुआ था.
दूसरी बार-
दूसरी बार कांग्रेस सरकार ने विशेष पिछड़ा वर्ग में 5% आरक्षण देने का वादा किया था. जुलाई 2012 में पिछड़ा वर्ग आयोग ने 5% आरक्षण की सिफारिश की थी. मामला पहले से कोर्ट में था इसलिए नोटिफिकेशन से विशेष पिछड़ा वर्ग में एक प्रतिशत आरक्षण दिया गया.
तीसरी बार-
तीसरी बार 22 सितंबर 2015 को बिल पारित किया, जिसमें गुर्जरों सहित 5 जातियों को 5% आरक्षण दिया. हालांकि कोर्ट में 9 दिसंबर 2016 को इसे खत्म कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट में सरकार की एसएलपी आज भी लंबित है.
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चौथी बार-
चौथी बार 17 दिसंबर 2017 को बीजेपी सरकार ने गुर्जर सहित पांच जातियों को 1% आरक्षण का बिल पास किया. इन्हें एमबीसी कैटेगरी में एक प्रतिशत आरक्षण का फायदा मिल रहा है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, डिप्टी सीएम पायलट और विधानसभा अध्यक्ष जोशी ने आंदोलन खत्म करने की अपील की है. आज गुर्जर समाज बिल की कॉपी पढ़कर फैसला लेंगे तब तक आंदोलन यथावत जारी रहेगा.
Source : News Nation Bureau