गुर्जर आरक्षण आंदोलन (Gujjar Reservation Movement) को लेकर एक बार सरकार और गुर्जर समाज की गतिविधियां तेज हो गई हैं. गुर्जर समाज ने 1 नवंबर से आंदोलन की चेतावनी दी है. एक तरफ गुर्जरों को मनाने की कवायद शुरू हो गई है तो दूसरी तरफ कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिये ऐहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिये हैं. प्रशासन ने एहतियाती कदम उठाते हुए भरतपुर और करौली जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं.
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आंदोलन पर अड़ा गुर्जर समाज
गुर्जर समाज ने सरकार से किसी भी तरह की वार्ता करने से साफ इनकार कर दिया है. लोग आंदोलन पर अड़ गए हैं. इसी के मद्देनजर प्रशासन ने गुरुवार रात 12 बजे से करौली और भरतपुर जिले में इंटरनेट बंद कर दिया गया है. पुलिस-प्रशासन दोनों जिलों में पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है. सरकार की खुफिया एजेंसियां भी पल-पल की गतिविधियों पर नजरें टिकाये हुये हैं. गुर्जर समाज ने 1 नवंबर से भरतपुर जिले के बयाना के पीलूपुरा से आंदोलन की घोषणा कर रखी है.
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तीन मांगों पर सरकार का सकारात्मक फैसला
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति द्वारा प्रस्तावित आंदोलन के मद्देनजर बृहस्पतिवार को यहां मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में सरकार ने गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की तीन प्रमुख मांगों पर सकारात्मक फैसला किया. इसके तहत अति पिछड़ा वर्ग के जिन 1252 अभ्यर्थियों का परिवीक्षाकाल पूर्ण हो चुका है उन सभी अभ्यर्थियों को राज्य सरकार द्वारा परिवीक्षावधि पूर्ण होने पर ‘रेगुलर पे-स्केल’ दी जाएगी. वहीं अति पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण से संबंधित प्रावधान को नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए राज्य सरकार द्वारा एक बार फिर केंद्र सरकार को तत्काल लिखा जाएगा. इसके साथ ही गुर्जर आंदोलन के दौरान घायल हुए जिन तीन लोगों की बाद के वर्षों में मौत हो गयी थी, उनके परिवारों को सामाजिक स्तर पर सहायता जुटाकर पांच पांच लाख रुपये दिए जाएंगे.
Source : News Nation Bureau