Advertisment

लॉकडाउन में निकल गया आइसक्रीम उद्योग का 'पीक सीजन', भारी नुकसान की आशंका

एक अनुमान के अनुसार राज्य में आइसक्रीम उद्योग लगभग 1000 करोड़ रुपये का है जिसमें हजारों की संख्या में लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पाते हैं.

author-image
Kuldeep Singh
New Update
आइसक्रीम में मिला कोरोना वायरस

आइसक्रीम( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

कोरोना वायरस के कहर से आइसक्रीम उद्योग भी अछूता नहीं रहा है. इसकी मार राज्य के ब्रांडेड आइसक्रीम कारखानों के साथ ही छोटे कस्बों में उन दुकानदारों पर भी पड़ी है जो मटका कुल्फी या शेक जैसे दूध से बनने वाले उत्पाद बेचते हैं. जानकारों के अनुसार लॉकडाउन या बंद के कारण राज्य के आइसक्रीम उद्योग को 60 प्रतिशत नुकसान तो पहले ही हो चुका है. अगर महीने भर बंद और रहा तो इस उद्योग का पूरा साल खराब हो जाएगा. एक अनुमान के अनुसार राज्य में आइसक्रीम उद्योग लगभग 1000 करोड़ रुपये का है जिसमें हजारों की संख्या में लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पाते हैं.

यह भी पढ़ेंः इमरान खान का तख्ता पलट बस गिने-चुने दिनों की बात, कोरोना संक्रमण के बीच सेना का मोह भंग

ओमनी आइसक्रीम के मालिक ओमप्रकाश गुप्ता के अनुसार आइसक्रीम उद्योग का पीक सीजन मार्च के दूसरे सप्ताह से शुरू होकर जून के आखिर तक चलता है. कोरोना वायरस संक्रमण को काबू करने के लिए राज्य सरकार ने 22 मार्च से लॉकडाउन (बंद) लगा दिया और इस बार आइसक्रीम उद्योग मांग बढ़ने से पहले ही ठप हो गया. उन्होंने कहा कि एक माह के बंद से इस उद्योग को सालाना आधार पर 30-35 प्रतिशत का नुकसान तो पहले ही हो चुका है. बंद जारी रहा तो नुकसान बढ़ता जाएगा. जानकारों के अनुसार राजस्थान में 300 से ज्यादा आइसक्रीम कारखाने हैं. एक कारखाने में 25 से लेकर 100 श्रमिक काम करते हैं.

यह भी पढ़ेंः गंदी हरकतों से बाज नहीं आ रहे जमाती, थाली को लात मार वार्ड बॉय को मारने दौड़े

इसके आगे वितरण वेंडर से लेकर अनेक लोग इस उद्योग से जुड़े रहते हैं. लॉकडाउन से प्रभावित होने वाले अन्य बहुत से उद्योगों की तरह आइसक्रीम उद्योग में लगे इन तमाम लोगों के लिए यह साल संकट में रहा है. राजस्थान के एक और प्रमुख ब्रांड हार्मनी के निशांत सालेचा ने कहा कि अगर बंद की अवधि कुछ और हफ्ते चली तो आइसक्रीम उद्योग तो लगभग शत प्रतिशत नुकसान में चला जाएगा. इस उद्योग का यह साल तो 'तबाह' ही होगा. सालेचा के अनुसार आइसक्रीम उद्योग में लगे लोग मार्च आखिर से लेकर जून तक के तीन महीने में ही अपनी सालभर की कमाई करते हैं. इन तीन महीनों पर कोरोना की मार पड़ने से जैसे पूरा साल ही खराब हो गया है.

यह भी पढ़ेंः Mann Ki Baat Updates: PM मोदी ने कहा- दो गज़ दूरी बनाकर रखें, दो गज़ दूरी, है बहुत जरूरी

एक अन्य आइसक्रीम निर्माता के अनुसार सबसे बड़ा संकट यह है कि आइसक्रीम निर्माताओं ने आने वाले सीजन की तैयारी के तौर पर कच्चा माल पहले ही जमा कर लिया था, जैसा वह हर साल करते हैं. फिर अचानक सब कुछ बंद हो गया. मार्च का तीसरा हफ्ता होने के कारण कुछ माल बन भी गया था, जो अब कोल्डस्टोरेज में रखा है, जिसका बिजली रखरखाव आदि का खर्च अलग से आ रहा है. उन्होंने बताया कि आइसक्रीम उद्योग में कच्चे माल के तौर पर मिल्क पाउडर, दूध,चीनी, काजू, पिस्ता, किशमिश आदि का इस्तेमाल होता है.

यह भी पढ़ेंः इन राज्यों को जल्द मिलेगी कोरोना से मुक्ति, लॉकडाउन में ढील देने पर हो रहा विचार

चीनी और मिल्क पाउडर की खपत भी टनों में होती है गुप्ता ने कहा कि देश में आइसक्रीम उद्योग का सालाना कारोबार 16,000 करोड़ रुपये से अधिक का है जिसमें इस लॉकडाउन के कारण सालाना आधार पर 50 प्रतिशत तक गिरावट आ सकती है. जानकारों के अनुसार इस बंद के कारण वे लोग भी संकट में हैं जो गली मोहल्लों में या थड़ियों पर मटका कुल्फी या चुस्की गोला जैसी चीजें बेचते हैं. राज्य के आइसक्रीम निर्माता अब इसी उम्मीद पर हैं कि लॉकडाउन में ढील के बीच राज्य सरकार उन्हें भी अपने उत्पाद बेचने और भेजने की अनुमति देगी ताकि उनका संकट थोड़ा कम हो सके.

Source : Bhasha

corona-virus lockdown icecream
Advertisment
Advertisment
Advertisment