आप जयपुर में हैं या फिर जयपुर आने की सोच रहे तो जरा सावधान हो जाएं. अगर आपको बेवजह हॉर्न बजाने की आदत है तो एक हजार रुपये का जुर्माना हो सकता है. जयपुर पुलिस ने 29 सितंबर से एक अभियान शुरू किया है. कृपया शोर न करे... बेवजह हॉर्न ना बजाएं... मकसद गाड़ियों के तेज आवाज में बजने वाले होर्न पर नियंत्रण. आम आदमी की सुनने की क्षमता 55 डेसिबल है, लेकिन लक्जरी गाड़ियों के होर्न की आवाज 100 डेसिबल या उससे अधिक. जयपुर में अब बेवजह हॉर्न बजाने वालों को पहले पिंक पर्ची देकर काउसिंलग की जा रही है. तीन महीने बाद एक हजार रुपये का चालान काटा जाएगा.
हर किसी को जाने की ऐसी जल्दी है कि रेड लाइट पर ही तेजी से हॉर्न बजा देते हैं. इससे जाहिर है कि पीछे की कार के हॉर्न बजाने से आगे खड़ी कार का चालक तो परेशान होगा ही. साथ ही इस हॉर्न से औरों को परेशानी होती है. जयपुर पुलिस ने इस समस्या से निपटने के लिए नो होर्न प्लीज अभियान शुरू किया है.
जयपुर के एडिशनल पुलिस कमिश्नर राहुल प्रकाश ने कहा कि पुलिस के अधिकारी बुधवार को चौराहों पर खड़े हो गए. बेवजह हॉर्न बजाने वालों को रोककर एक पिंक पर्ची सांकेतिक चालान के रूप में दी गई, फिर काउिंलग सेंटर ले जाकर उनकी काउंसिंलग की गई.
दरअसल, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के जनवरी से जून तक एक सर्वे में सामने आया कि शहर में ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां ध्वनि प्रदूषण मानक से कम हो. उसकी 70 फीसदी वजह सिर्फ वाहनों के हॉर्न हैं. इंसान के सुनने की अधिकतम क्षमता 55 डेसिबल है, लेकिन अधिकतर जगह पर वाहनों का शोर 71.5 डेसिबल से अधिक मिला. लक्जरी गाड़ियों में 100 डेसिबल तक या अधिक आवाज के होर्न हैं. ये ही प्रदूषण की बड़ी वजह बन रहे हैं. पुलिस ने शहर में नो हॉर्न जोन भी तय कर दिए हैं. डॉक्टरों का कहना है कि लगातार तेज आवाज से न सिर्फ बहरे होने की आंशका रहती है, बल्कि कोलेस्ट्रोल का स्तर भी बढ़ सकता है.
Source : lalsingh fauzdar