अंतर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर पूरे देश भर में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. आपको हिंदी भाषा को लेकर ऐसी तस्वीर दिखाने जा रहे हैं जिसको देखकर यकीनन आप हिंदी भाषी होने पर गर्व करेंगे. बदलते परिवेश में भले ही अंग्रेजी बोलना स्टेटस सिंबल का प्रतीक बन रहा हो, मगर हिंदी कितनी महान भाषा है, इसकी गहराई का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि विदेशी भी हिंदी भाषा, हमारी संस्कृति को सीख रहे हैं. उनमें ऐसी ललक है जिन्होंने अपनी पहचान ही भारतीय बना ली है.
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कमला, जाह्नवी, ब्रज चंद्रिका, कृष्ण नंदिनी और मिक हिंदी भाषा सीख रहे हैं. विद्यार्थियों के नाम सुनकर इनके भारतीय होने का अंदाज लगा सकते हैं. लेकिन ये सभी विदेशी मेहमान हैं, जो भारत की भूमि पर हिंदी सीख रहे हैं. हिंदी, संस्कृत सीखने के दौरान ये भारतीय संस्कृति के इतने मुरीद हो गए कि खुद को भारतीयता में ढाल लिया. कमला और जाह्नवी दोनों बहिन हैं, जो लंदन से हैं. जाह्नवी योगा टीचर हैं. कमला ने इंडियन फिलोसिफी पढ़ी है. अब हिंदी, संस्कृत, योग चित्रकला सीख रही है. ब्रज चंद्रिका न्यूजीलैंड से हैं. कृष्ण नंदिनी चाइना से आए हैं. मिक ताइवान से हैं. गुरु मंत्र और योग मंत्र कंठस्थ है. हिंदी भाषा के मुरीद बनते जा रहे हैं. उन्हें हिंदी भाषा इतनी आकर्षित कर रही है कि वह हिंदी में ही वेद, गीता व उपनिषदों का ज्ञान अर्जित कर रहे हैं.
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ये न केवल हिंदी सीख रहे हैं, बल्कि हिंदी में ही धर्म ग्रंथों का ज्ञान भी अर्जित कर रहे हैं. जाह्नवी योग शिक्षक हैं. हिंदी जानने के लिए वह वेद, उपनिषद व गीता का अध्ययन करने लगी हैं. हिंदी और संस्कृत की जानकारी बेहद कम होने के कारण पहले उन्होंने हिंदी सीखनी शुरू की और धीरे-धीरे उस पर मजबूत पकड़ बना ली. वेदिक आर्टिस्ट रमुरामदेव उन्हें धर्मग्रंथों का पाठ पढ़ा रहे हैं. यह कहानी उन लोगों के लिए एक सबक है जो अंग्रेजी बोलना स्टेटस सिंबल समझते हैं. हिंदी भाषा को हीन नजरों से देखते हैं. यह कहानी खुद को हिंदी भाषी होने पर गर्व कराती है.