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Ramabhadracharya: गोविंद देव जी के मंदिर से बचते हुए क्यों नजर आए जगदगुरु रामभद्राचार्य, जानिए क्या है वजह

जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में आयोजित श्री राम कथा के दौरान तुलसी पीठ के प्रमुख जगदगुरु रामभद्राचार्य ने इस शहर को 'छोटी काशी' के रूप में संबोधित करते हुए यहां हर साल आने का संकल्प लिया.

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Garima Sharma
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Jagadguru Ramabhadracharya

Jagadguru Ramabhadracharya: गोविंद देव जी के मंदिर से बचते हुए क्यों नजर आए जगदगुरु रामभद्राचार्य, जानिए क्या है वजह

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तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख जगदगुरु रामभद्राचार्य ने जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में आयोजित श्री राम कथा के पांचवे दिन सोमवार को इस शहर को ‘छोटी काशी’ का दर्जा दिया. उन्होंने इस दौरान संकल्प लिया कि वे हर साल जयपुर में आएंगे और यहां के धार्मिक स्थलों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करेंगे. रामभद्राचार्य ने इस शहर के मंदिरों को ‘छोटी काशी’ की उपमा दी, जो उनके अनुसार हिंदू धर्म की समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है.

गोविंद देव जी के मंदिर में दर्शन क्यों नहीं?

रामभद्राचार्य ने उन्होंने बताया कि वह जयपुर में रहते हुए भी गोविंद देव जी के प्रसिद्ध मंदिर में क्यों नहीं गए. उनका कहना था कि उन्होंने प्रण लिया है कि जब तक मथुरा का कृष्ण मंदिर भव्यता से नहीं बन जाता, वे किसी भी कृष्ण मंदिर में दर्शन करने नहीं जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने दृष्टिकोण में कट्टर हो सकते हैं, लेकिन उनका यह मानना है कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए यह कदम जरूरी है. उनके अनुसार, "रामलला को अयोध्या में ला सकते हैं, तो मथुरा और काशी के ज्ञानवापी को भी लाकर दिखाएंगे." 

रामभद्राचार्य का राष्ट्रीय दृष्टिकोण

रामभद्राचार्य ने अपने भाषण में कई मुद्दों पर भी बात की. कश्मीर और पाकिस्तान के संदर्भ में उन्होंने कहा कि कोई भी संत राष्ट्र के बारे में सोच सकता है, जबकि परिवार वाले भक्तों की मानसिकता अलग होती है. उन्होंने यह भी कहा, "यह देश गांधी परिवार का नहीं है, यह राष्ट्र हमारा है." आगे उन्होंने रेवासा पीठ की दुर्दशा का उल्लेख करते हुए कहा कि यह परंपरा के खिलाफ है और वे सुनिश्चित करेंगे कि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों. रामभद्राचार्य ने संकल्प लिया कि वे भारत में गो हत्या को समाप्त करने के लिए आंदोलन चलाएंगे और इसके लिए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार हैं.

कुंभ में बड़ा ऐलान

रामभद्राचार्य ने यह भी घोषणा किया कि इस बार कुंभ में वे एक ऐतिहासिक कदम उठाने वाले हैं, जिसके तहत वे पाकिस्तान का नामो-निशान मिटाने की बात करेंगे. उनका मानना था कि इस आंदोलन से न केवल भारतीय संस्कृति का सम्मान बढ़ेगा, बल्कि यह विश्व के नक्शे से पाकिस्तान का अस्तित्व भी समाप्त कर देगा. 

संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना

रामभद्राचार्य ने यह भी बताया कि वह 6 दिसंबर को चित्रकूट धाम में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना करेंगे. उनका उद्देश्य भारत में सांस्कृतिक पुनर्निर्माण और संस्कृत के महत्व को बढ़ावा देना है. इस विश्वविद्यालय के माध्यम से वे यह दिखाना चाहते हैं कि भारत की संस्कृति और धरोहर किस तरह से पुनः स्थापित की जा सकती है.

सांस्कृतिक आंदोलन की ओर एक कदम

रामभद्राचार्य ने यह स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य केवल धार्मिक पुनर्निर्माण नहीं है, बल्कि एक व्यापक सांस्कृतिक आंदोलन शुरू करना है. उनका मानना है कि भारत को अपनी सांस्कृतिक धरोहर पर गर्व होना चाहिए, और इसके लिए समाज को जागरूक करना आवश्यक है.

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