Rajasthan: बारिश के लिए अनोखा टोटका, गधे को गुलाब जामुन खिलाए, फिर मुखिया को उल्टा बैठाकर लगवाए श्मशान के चक्कर

Jhalawar: सोयाबीन, मक्का और तिलहन जैसी प्रमुख फसलें पानी के अभाव में प्रभावित हो रही हैं. किसानों का कहना है कि अगर जल्द बारिश नहीं हुई तो उनकी मेहनत और निवेश दोनों डूब जाएंगे.

Jhalawar: सोयाबीन, मक्का और तिलहन जैसी प्रमुख फसलें पानी के अभाव में प्रभावित हो रही हैं. किसानों का कहना है कि अगर जल्द बारिश नहीं हुई तो उनकी मेहनत और निवेश दोनों डूब जाएंगे.

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Yashodhan.Sharma
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Jhalawad gulab jamun feed donkey

Jhalawad Case Photograph: (social)

Jhalawar: राजस्थान के झालावाड़ जिले में इस बार मानसून की बेरुखी ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. लगातार सूखा पड़ने और फसलें खराब होने के डर से किसान और ग्रामीण अब परंपरागत जतन और टोने-टोटकों का सहारा लेने लगे हैं. इसी कड़ी में जिले के गंगधार क्षेत्र के ग्रामीणों ने इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए एक अनोखा टोटका किया, जिसमें गांव के मुखिया को गधे पर उल्टा बैठाकर श्मशान घाट के सात चक्कर लगवाए गए.

पहनाई माला और खिलाए गुलाब जामुन

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ग्रामीणों की मान्यता है कि जब बारिश नहीं होती और खेतों में संकट गहराता है, तब ऐसे पारंपरिक उपाय करके इंद्रदेव को मनाया जाता है. गंगधार गांव में हुए आयोजन में सबसे पहले गांव के पटेल साहब ने गधे को माला पहनाई, उसका तिलक किया और आरती उतारी. इसके बाद गधे को गुलाब जामुन खिलाए गए. ग्रामीणों का मानना है कि इस प्रक्रिया से इंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और बारिश बरसती है.

श्मशान में लगाए गए सात चक्कर

पूजा के बाद गांव के मुखिया को गधे पर उल्टा बैठाया गया और श्मशान घाट में सात चक्कर लगाए गए. ग्रामीण बताते हैं कि यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और माना जाता है कि इससे रूठे इंद्रदेव प्रसन्न होकर गांव में अच्छी बारिश कराते हैं. पूरे आयोजन में सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे और सबने मिलकर इस अनोखी रस्म को पूरा किया.

बारिश के इंतजार में किसान परेशान

बता दें कि देश के कई हिस्सों में जहां भारी बारिश हो रही है, वहीं राजस्थान के कुछ इलाकों में मानसून अभी तक सक्रिय नहीं हुआ है. झालावाड़ सहित आसपास के क्षेत्रों में पर्याप्त वर्षा न होने से खरीफ की फसलें सूखने लगी हैं. सोयाबीन, मक्का और तिलहन जैसी प्रमुख फसलें पानी के अभाव में प्रभावित हो रही हैं. किसानों का कहना है कि अगर जल्द बारिश नहीं हुई तो उनकी मेहनत और निवेश दोनों डूब जाएंगे.

परंपरा और आस्था का मेल

ग्रामीणों का कहना है कि यह टोटका केवल आस्था का हिस्सा है और इसका उद्देश्य गांव के लोगों को एकजुट करना भी है. उनका विश्वास है कि परंपरागत रीति-रिवाजों से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है और बारिश की संभावना बढ़ती है. हालांकि वैज्ञानिक आधार न होने के बावजूद ग्रामीणों का भरोसा इन्हीं पुराने तरीकों पर कायम है.

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