दुनिया में अलग लाग तरह के मेले होते हैं. इसी कड़ी में जोधपुर यानी की मदहोश कर देने वाली मस्ती मे मार भी पड़े तो वो दर्द नही एक अनोखी मिठास देती है और इस मेले में पूरे शहर के कुवारे मार खाने को आतुर लगते है और हो भी क्यों ना क्योंकि मार के बाद उन्हें उम्मीद रहती है की बस अब जीवन साथी मिल जायेगा। वो इस मार को प्रसाद समझते है. लिहाजा मार खानें वालों का तांता सा लगा रहता है और महिलाये पूरे साल की भड़ास निकाल लेती है सरे राह पुरुषों पर डंडे बरसाकर चाहे वो प्रेमी पति या फिर पुलिस वाले ही क्यों ना हो मार खाने के बाद उसी साल मेरी शादी हो गई थी और आज बच्चे और बीवी के साथ यहाँ आये है लिहाजा मेले का नाम ही यह हो गया है की डंडे खाओ ब्याह रचाओ.
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रात और घनघोर अंधेरा, और उसमे जवान लड़कों पर बरसती लाठियाँ. यह कोई पुलिस का दर नहीं है यह तो औरतो का प्यार है और समझो जिस सख्स पर लाट्ठी बरसी मानो उसे अब मोहब्बत मिलनी ही है हम बात कर रहे है एक ऐसे मेले की जहाँ सिर्फ़ और सिर्फ़ महिलाओं का राजहोता है और इस रात मे महिलाएं जमकर मस्ती करती है वो भी तरह - तरह के स्वांग रचकर...... अक्सर घरों मे काम करते हुए महिलाएं लोक लाज के चलते घरों से बाहर भी नही आ पाती लेकिन जोधपुर मे साल मे एक बार महिलाओं का राज होता है और वो जमकर धींगा मस्ती करती है और बरसाती है लाठिय मनचलों पर इसे में सामने एक बार महिला का पति भी आ जाये तो वो भी पिटेगा जरुर ऐसी मान्यता है की इस दिन जो सख्स इन लड़कियों की लाठियों का स्वाद चखेगा उसे जल्दी ही बीवी मिल जायेगी. और फ़िर पूरी रात बरसती लाठियों की मस्ती मे मार भी पड़ती है लेकिन बड़े ही प्यार से..
यह तो संस्कृति है कहते है आज जिसे डंडे लगेंगे उसकी शादी हो जाती है यह महिलाओं का अधिकार है महिलाओं को अगर पूरे समय ऐसा ही राजमिल जाये तो देश सुधर जाये जो नही पुरुष ओर युवा महिलाओं के सामने आ जाते तो उन्हें बेंत का प्रसाद मिलता क्यों की उन्हें बेंत के माध्यम से शादी का लड्डू जो खाना था ऐसी जो मान्यता है की बेंत मार धींगा गवार में जो कुंवारा युवक तिजनियाके हाथो से बेंत का प्रसाद लेकर जाता है उसकी शादी जल्द हो जाती है .
आज का यह त्योंहार बैतमार धींगा गावर का मेला है इसमे ओरते तरह तरह के स्वांग रचकर निकलती है और जो भी पुरुष सामने आता है उसे डंडे से मारती है इसमे पुलिस का डंडा ऐसा काम नहीं करता
फ़िर मार खाने से ही मस्त मोहब्बत से पाला पड़े तो भला मार खाने मे बुराई किस बात की. और वो भी सरे आम, फ़िर पिटने का भी एक अलग ही मजा होता है. जोधपुर की इस मस्ती मे पूरी रात महिलाओं की मस्ती भी पूरे शबाब पर होती है.
बेंतमार धींगा गवार में जहाँ पूरा शहर धींगा मस्ती डूबा रहता है वही विदेशी पर्यटक भी जोधपुर की संस्कृति में रचे बसे नजर आए ओर खूब जमकर मस्ती का आनंद लिया !
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Source : Lal Singh Fauzdar