ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती र.अ. के पिरो मुर्शिद (गुरु) हजरत ख्वाजा उस्मान हारूनी के उर्स के मौके पर अजमेर के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद ज़ैनुल आबेदीन अली खां, वंशज व वंशानुगत सज्जादानशीन हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती र.अ. की खानकाह (मठ) से देश के नाम अमन व शांति का संदेश जारी किया. अजमेर दरगाह प्रमुख ने अपने संदेश में कहा कि, पैगंबर मोहम्मद साहब (स.अ.व.)ने कहा: - "क्या आप जानते हैं कि दान और उपवास और प्रार्थना से बेहतर क्या है? यह है कि लोगों के बीच शांति और अच्छे संबंध बनाए रखना है, क्योंकि संघर्ष और बुरी भावनाएं मानव जाति को नष्ट कर देती हैं." इस्लाम हिंसा की निंदा करता है और अहिंसा, सहिष्णुता और सद्भाव और एक दूसरे के लिए सम्मान को बढ़ावा देता है. इस्लाम विशेष रूप से कहता है कि अल्लाह हमलावरों से नफरत करता है, इसलिए ऐसा मत बनो. इस्लाम अपने अनुयायियों से क्षमा का उपयोग करने और सहिष्णुता को बढ़ावा देने का आह्वान करता है. शांति, आपसी सम्मान और विश्वास मुसलमानों के दूसरों के साथ संबंधों की नींव है.
कुरान के अनुसार, शांति शांतिपूर्ण साधनों से ही प्राप्त की जा सकती है. इस्लाम में, किसी भी कारण से, धार्मिक, राजनीतिक या सामाजिक, निर्दोष लोगों की हत्या निषिद्ध है. इस्लाम के अनुसार, "आपको किसी की हत्या नहीं करनी चाहिए, अल्लाह ने यह पवित्र जीवन दिया है." इस्लाम किसी भी निर्दोष व्यक्ति को मारने और सताए जाने से सख़्त मना करता है. हालांकि कई आतंकी संगठनों और कई अतिवादी संगठनों ने अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस्लाम के नाम का इस्तेमाल किया है. किसी को भी आतंकवादी कृत्यों के लिए दोषी ठहराया जा सकता है, चाहे उसका धर्म कुछ भी हो. विभिन्न संगठनों द्वारा अपने स्वयं के लक्ष्यों, कारणों या विचारधाराओं को आगे बढ़ाने के लिए आतंकवाद को अपनाया गया है. ऐसे संगठन इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं. पूरी दुनिया में निर्दोष लोगों पर ऐसे संगठनों के हमलों का कोई धार्मिक औचित्य नहीं है. यह सब इस्लाम में सख्त वर्जित है.
उन्होंने आगे कहा कि कुछ आतंकवादी संगठन हैं जो निर्दोष लोगों की हत्या कर खुद को शहीद के रूप में देखते हैं. जो लोग इस्लाम के नाम पर शहादत के लिए बेगुनाहों की हत्या करते हैं, उन्हें अपने कार्यों पर पुनर्विचार करना चाहिए. क्योंकि इस्लाम में ऐसे कार्यों की कड़ी निंदा की गई है. किसी भी मुसलमान को कभी भी आतंकवाद और अतिवाद में शामिल नहीं होना चाहिए. इस्लाम में हिंसा की कोई जगह नहीं है. इस्लाम के अनुसार आतंकवादी सही मायने में मुसलमान नहीं हैं.
दरगाह दीवान ने कहा कि आज सोशल मीडिया हिंसा करने वालों के लिए वरदान साबित हुआ है क्योंकि उन्होंने इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल फेक न्यूज और गलत सूचना फैलाने के लिए किया जा रहा है, जिससे हिंसा तेज हो गई है. सोशल मीडिया पर गलत सूचना व गलत सूचना देकर लोगों की भावनाओं को भड़काने का प्रयास किया जा रहा है. मैं लोगों से और खासतौर पर नौजवानों से अपील करता हूं कि सोशल मीडिया पोस्ट और वीडियो को आंख मूंदकर फॉलो और शेयर न करें. किसी भी सनसनीखेज सामग्री को साझा न करे, क्योंकि कट्टरपंथी देश के और अमन के दुश्मन है वो किसी भी झूठी और भ्रामक जानकारी को फैला सकते हैं. जो जंगल की आग की तरह फैल सकती है.
अंत में दरगाह प्रमुख ने कहा कि इस्लाम एक सुंदर मजहब है जो शांति, सहयोग और प्रेम को बढ़ावा देता है. यह घृणा, हिंसा को बढ़ावा नहीं देता और हिंसा के कृत्यों की वकालत नहीं करता. दुर्भाग्य से, इस्लाम के संदेश को उसके विरोधियों ने तोड़-मरोड़ कर पेश किया है. इस्लाम मजहब के नाम पर हिंसा को कभी जायज नहीं ठहराता. मैं अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख, वंशज व वंशानुगत सज्जादानशीन ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह शरीफ अजमेर इस्लाम, और धर्म के नाम पर हो रही हर तरह की हिंसा का कड़ा विरोध करता हूं और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करता हूं. मैं देशवासियों से और खासकर प्रदेश वासियों से अपील करता हूं कि इस प्रकार के मामलों में धैर्य और शांति से काम ले मिलजुल कर रहे. देश और शांति के दुश्मनो को उनके नापाक मंसूबों में कामयाब न होने दें.
HIGHLIGHTS
- इस्लाम में हिंसा कोई जगह नहीं
- आतंकवादी सच्चे मुसलमान नहीं
- दरगाह शरीफ, अजमेर के प्रमुख ने दिया संदेश
Source : Ajay Sharma