उदयपुर और जयपुर राजघरानों की ओर से श्रीराम के वंशज होने का दावा किया गया था, अब सिरोही का तीसरा राजघराना श्रीराम के वंशज होने का दावा कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से श्रीराम के वंशज होने या नहीं होने के सवाल के बाद अब यह तीसरा राजघराना है जो ऐसा दावा कर रहा है. सिरोही के पूर्व महाराजा रघुवीरसिंह का दावा है कि उनके पास 100 वंशजों की पूरी सूची है. उन्होंने यह भी कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट उन्हें बुलाती है तो वे सबूतों के साथ पेश होंगे.
बता दें 5 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर को लेकर नियमित सुनवाई शुरू हुई थी. 9 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की ओर से भगवान राम के वकील से यह पूछा गया कि अयोध्या या फिर दुनिया में कहीं भगवान राम का वंशज है या नहीं? इस पर वकील ने कहा कि हमें इसकी जानकारी नही हैं. इसके बाद जयपुर और उदयपुर राजपरिवार ने श्राीराम के वंशज वंशज होने का दावा किया.
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अब सिरोही राजघराने के पूर्व महाराजा व इतिहासकार के जानकार रघुवीरसिंह देवड़ा का दावा है कि लक्ष्मण के पड़पौत्र मालव हुआ करते थे, जिन्होंने मूलस्थान यानी, आज मुल्तान है उसे राजधानी बनाया और हम लोग उन्हीं के वंशज हैं. उन्होंने इसे विस्तार से बताने की कोशिश की. उनके मुताबिक पहले मालव हुए और बाद में चौहान और अब देवड़ा. उनका यह भी दावा है कि इन 100 पीढिय़ों और वंशजों की सूची उनके पास है. यदि सुप्रीम कोर्ट उन्हें बुलाती है तो वे सबूतों के साथ पेश होंगे और यह बताएंगे कि वे श्रीराम के वंशज हैं.
पूर्व महाराजा रघुवीरसिंह ने दिए ये तीन सबूत
- मालव वंशज: यह सत्य है कि मालव लक्ष्मण के पड़ पौत्र थे. मालव के बाद
- विक्रमादित्य व चंद्रगुप्त मौर्य का शासन आया, जो इन्हीं के वंशज थे.
- जब गुप्त साम्राज्य भी समाप्त हो गया तो आबूरोड स्थित वशिष्ठ आश्रम में कुछ
- लोग यहां पहुंचे. जहां चव्हार, परिहार, परमार व सोलंकी चारों को अलग-अलग राज्य
- सौंपे गए.
- पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के बाद 1200 में सिरोही स्टेट की स्थापना हुई.
- उत्पति मालव वंश से हुई, जो बाद में 1228 में चौहान हुए और अब देवड़ा.
सिरोही स्टेट की स्थापना के बाद 75वां राजा बना
पूर्व महाराज देवड़ा ने , "मालव वंश की बात करें तो सिकंदर के समय तक मूलस्थान राजधानी तक वे रहे. 323 ईसा पूूर्व में मालव व सिकंदर के बीच युद्ध हुआ. 1206 में सिरोही स्टेट की स्थापना हुई थी. सबसे पहले माणिंगराय हुए थे और वहां से हमारी 38वीं पीढ़ी हूंं. मेरे पड़ दादा महाराजा केसरसिंह 35वीं पीढ़ी. 1206 से मालव वंश की 75वीं और 323 ईसा पूर्व से गणना करें तो लक्ष्मण के पड़पौत्र की 100वीं पीढ़ी. "
Source : बी के कोमल