Elephant village in Rajasthan : राजस्थान में वैसे तो चालीस हज़ार से अधिक गांव हैं लेकिन जयपुर के निकट कुंडा में स्थापित 'हाथी गांव' इन सबसे न्यारा है. इसे उन हाथियों का ठिकाना बनाया गया है जो देसी-विदेशी सैलानियों को अपनी पीठ पर लाद कर ऐतिहासिक आमेर किले के दर्शन कराते हैं. देशी हो या विदेशी पर्यटक. सभी की चाहत हाथी पर सवार होकर किले तक जाने की रहती है. ऐसे में इस काम में लगे हाथियों की संख्या 82 है. मादा हाथियों का बहुमत है जबकि नर हाथी महज एक है.
120 बीघे में फैला है ये अनोखा गांव
हाथी गांव 51 हाथियों को जगह दी गई. बाद में और भी हाथियों को यहां लाया जाएगा. अब हाथी गांव में हाथियों की संख्या 61 है. ये भारत का पहला हाथी गांव है. हाथी मालिक संगठन से जुड़े आसिफ कहते हैं कि हमारे और हमारे लाडले हाथियों के लिए ये गांव बड़ी नियामत है. 120 बीघा धरती पर फैले इस गांव में जब सजे धजे हाथियों ने इसको अनोखा बना दिया है. हाथी गांव में एक मानव निर्मित तालाब भी बनाया गया है, जहां हाथी शुष्क मौसम में स्नान कर सकेंगे.
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राजा मान सिंह ने बसाया था ये हाथी गांव
जयपुर के राजा मान सिंह प्रथम को महावतों को बसाने का श्रेय जाता है. जयपुर बसने के पहले महावत पुरानी राजधानी आमेर में रहते थे. बाद में जयपुर बसा तो रियासत ने गुलाबी नगरी में मोहल्ल्ला महावातन में महावतों को जगह दी. महावत रमजान का कहना है कि एक हाथी को बच्चे की तरह पाला जाता है. एक दिन में 2 से ढाई हजार का खाना हाथी को खिलाया जाता है. हाथी के खाने में गन्ना, गुड़, रिजका मुख्य है.
HIGHLIGHTS
- राजस्थान में है भारत का अनोखा गांव
- इस गांव में रहते हैं हाथी और हाथी पालकों के परिवार
- राजा मान सिंह ने बसाया था ये अनोखा हाथी गांव