साल का आखिरी दिन और नए साल की शुरूआत के लम्हे. कई लोग आज नए साल का जश्न होटल्स रेस्त्रां और पब में जाम छलकाकर पार्टीज के साथ कर रहे हैं, लेकिन इन सभी से अलग अब जयपुर में एक पहल परम्परा का रूप ले चुकी है. साल का आखिरी दिन और नए साल की शुरूआत जयपुर में खास अंदाज में हुई. यहां लाखों लोगों ने गर्म दूध के साथ नए साल की शुरुआत की.
जयपुर में लाखों लोग अब गर्मागर्म दूध के साथ भी नए साल का स्वागत करते हैं. लोगों को नशा छोड़ने के लिए प्रेरित करने के मकसद से करीब 14 साल पहले शुरू की गई यह मुहिम प्रदेश के कई शहरों में शुरू हो चली है.
दारु नहीं दूध, यहीं है नए साल की शुरुआत का असली जश्न है. यही मानना है गुलाबी नगरी के युवाओं का भी, क्योंकि जयपुर में बारह साल पहले शुरू की गई एक अभिनव पहल अब बड़ा रूप ले चुकी है. एक ओर जहां नए साल के स्वागत में कई कदम दारू के नशे में लड़खड़ाते नजर आते हैं. वहीं कई लोग अपने नए साल का स्वागत दूध की चुस्कियों से सेहत की ओर कदम बढ़ाकर भी करते हैं.
साल 2004 में 31 दिसम्बर के दिन राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर मुफ्त गर्मागर्म दूध पिलाने का शुरुआत की गई थी. यह शुरूआत लोगों को नशा छोड़कर तंदुरुस्ती के लिए प्रेरित करने के मकसद से शुरू की गई थी. 14 साल पहले जब यह मुहिम शुरू की गई थी, तब पांच सौ लीटर दूध भी लोगों को मान-मनुहार कर के पिलाया गया था. लेकिन धीरे-धीरे जागरुकता बढ़ती गई और अब विश्वविद्यालय के गेट पर ही 25000 से ज्यादा लोग दूध पीकर नए साल का स्वागत करते हैं.
युवाओं में नशे को छोड़कर दूध के प्रति आकर्षण दिल को सुकून देने वाला होता है. 10 हजार लीटर दूध आयोजन के लिए उपलब्ध करवाया. बड़ी संख्या में आम के साथ ही खास लोग भी इस आयोजन में दूध पीकर नए साल का स्वागत करते हैं. इस पहल से प्रेरित होकर अब प्रदेश में जगह-जगह इस तरह के आयोजन शुरू हो गए हैं. गुलाबी नगर में ही करीब 50 से 60 जगह पर इस तरह के आयोजन होने लगे हैं.
Source : News Nation Bureau