मोदी सरकार में नए कैबिनेट मंत्री और राज्य मंत्री शामिल किए गए हैं. मोदी कैबिनेट विस्तार में 43 नए मंत्रियों ने बुधवार को पद और गोपनीयता की शपथ ली है. अब मोदी सरकार में मंत्रियों की कुल संख्या 77 पहुंच गई है. वहीं, आज मंत्री अपने विभाग का पदभार संभालेंगे. इसी बीच चुनावी राज्यों को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषक चुनावी गुणा-भाग बीजेपी की लगाने लगे हैं, जो मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में साफतौर पर दिखाई दे रहा है. क्योंकि इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि इसका असर किन राज्यों तक पड़ेगा. वहीं, सियासी पंडित राजस्थान की भारतीय जनता पार्टी की सियासत में जातिगत गुणा-भाग और प्लस-माइनस! को देख रहे हैं.
मोदी सरकार में राजस्थान से राजपूत, जाट, वैश्य, दलित तबके को पूरी तवज्जो दी गई है. लोकसभा अध्यक्ष बिरला और राज्य में नेता प्रतिपक्ष कटारिया दोनों वैश्य समाज से आते है. जाट तबके से भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष पूनिया और केंद्र में मंत्री कैलाश चौधरी हैं तो राजपूत समाज से केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शेखावत और राज्य में उपनेता प्रतिपक्ष राठौड़ और दलित तबके से केंद्र में मंत्री अर्जुन मेघवाल को रखा गया है.
बहरहाल, यादव समाज को भी भूपेंद्र यादव के रूप में मिली मज़बूत जगह मिली है. राष्ट्रीय संगठन में वसुंधरा राजे हैं राजपूत बेटी और जाट बहू के रूप में उपाध्यक्ष चेहरा अलका गुर्जर हैं भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय मंत्री हैं. अब अनुसूचित जनजाति और ब्राह्मण समाज के चेहरों को लेकर इंतजार है. इन दोनों जातियों को भविष्य में कहां तवज्जो मिलेगी ये देखने वाली बात होगी?, कहा जा रहा है कि आगामी दिनों में इन दोनों समाजों की नाराजगी को साधने की होगी कोशिश की जाएगी. इन दोनों समाजों के चेहरों को भविष्य में तवज्जो मिल सकती है.
'राम' ने पहुंचाया केंद्र में मंत्री पद तक
भूपेंद्र यादव अलहदा राजनेता के तौर पर सामने आए हैं. वह रामसेतु से लेकर राम मंदिर तक चर्चित केस से जुड़े रहे. उनका राजनीति करने का स्टाइल अलग
तभी तो अमित शाह के बाद पीएम मोदी की भी पसंद बन गए है. अजमेर GCA छात्र संघ की राजनीति से निकल कर केंद्र में मंत्री बन गए, लेकिन यह सफर आसान नहीं था कड़ी मेहनत और समर्पण ने यहां तक भूपेंद्र यादव को पहुंचाया है.
इस बीच कैबिनेट विस्तार और सियासी नियुक्तियों की चर्चा के बीच राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने मास्टरस्ट्रोक चला हैं!. गहलोत सरकार ने विधानमंडल के गठन के निर्णय का दांव चल मास्टरस्ट्रोक लगाया है. ऐसा राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं, लेकिन यह निर्णय लेने के बाद प्रक्रिया में वक्त लग सकता है. तब तक कई कद्दावर नेताओं से विधानमंडल में एडजस्ट करने का वादा किया जा सकता है. इससे पनपकर और उभर सकने वाला असंतोष काफी कम हो सकेगा. तबादलों पर रोक हटाने के बाद इस निर्णय से दावेदारों में खुशी की लहर है. क्योंकि इसके जरिये कई विधायकों और नेताओं का हित लाभ साधा जा सकता है. मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा इस फैसले से एक तीर से कई निशाने साधे गए. बंगाल विधानसभा ने भी परसों ही विधान परिषद गठन का प्रस्ताव पारित किया है और तमिलनाडु में भी स्टालिन ने विधान परिषद गठन का चुनावी वादा किया था. अब राज्यों में दूसरे सदन के गठन के बारे में केन्द्र सरकार को नीतिगत निर्णय लेना है.
HIGHLIGHTS
- राजपूत,जाट,वैश्य,दलित तबके को पूरी तवज्जो
- लोकसभा अध्यक्ष बिरला और राज्य में नेता प्रतिपक्ष कटारिया दोनों वैश्य समाज से
- जाट तबके से भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पूनियां और केंद्र में मंत्री कैलाश चौधरी