हल्दी घाटी के मैदान से विवादस्पद शिलालेख हटाने पर गहलोत सरकार और कांग्रेस खफा है. राजस्थान के संस्कृति मंत्री ने कहा कि हल्दी घाटी की रक्त तलाई इतिहास की धरोहर है. यहां से कोई भी प्रतीक चिह्न हटाना गलत है. दूसरी तरफ बीजेपी ने शिलालेख हटाने को इतिहास की भूल सुधार बताया. उन्होंने कहा कि विवादास्पद शिलापट्टिकाएं हटाने के बाद अब गहलोत सरकार और कांग्रेस को भी महाराणा प्रताप की हल्दी घाटी में जीत के सच को स्वीकार करना चाहिए. ऐतिहासिक युद्ध हल्दी घाटी में राजूपतों और मुगलों के रक्त से लाल हुई थी. हल्दी घाटी की रक्त तलाई से गुरुवार शाम को उन विवादास्पद शिलालाखों को हटा लिया, जिनमें से एक शिलालेख पर लिखा है कि मुगलों और महाराणा की सेना में भीषण संग्राम के दौरान प्रताप की सेना पीछे हटी और युद्ध उसी दिन खत्म हो गया.
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बीजेपी सासंद दीयाकुमारी समेत मेवाड़ के कई संगठनों की आपत्ति के बाद भारतीय पुरात्त्व सर्वेक्षण ने इन शिलालेख को हटा लिया तो गहलोत सरकार भड़क गई. राजस्थान के कला एवं संस्कृति मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि रक्त तलाई एतिहासिक धरोहर है. वहां से किसी भी प्रतीक के हटाना गलत है.
गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भाजपा पर महाराणा प्रताप के गौरव का सियासी लाभ उठाने का आरोप लगाया है. दूसरी तरफ बीजेपी ने गहलोत सरकार और कांग्रेस पर हमला बोला कि गलत शिलालेख को हटाना कैसे गलत है. बीजेपी ने कांग्रेस और गहलोत सरकार को नसीहत दी है कि प्रताप की हार बताने वाले शिलालेख हटने के बाद अब वो इस सच को स्वीकार कर ले कि हल्दी घाटी में महाराणा विजयी हुए थे न कि मुगलों की सेना. तीन साल पहले ही तत्कालीन बीजेपी सरकार में शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने ही एक इतिहासकार के शोध पत्र के आधार पर पाठ्यक्रम में हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा को विजेता घोषित किया था.
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इतिहासकार चंद्र शेखर शर्मा ने भी सरकार के कदम की सराहना की है. चंद्रशेखर के शोध के आधार पर ही भाजपा सरकार ने पाठ्यक्रम में बदलाव करते हुए हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप को विजयी बताया.
दीयाकुमारी के केंद्र सरकार को लिखे पत्र के मुताबिक, ये विवादास्पद शिलालेख तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 1976 में हल्दी घाटी की यात्रा के वक्त लगाए गए थे. तब एक शिलालेख पर महाराणा की हार दिखाई गई थी तो दूसरे पर युद्ध की तारीख ही गलत लिखी थी. युद्ध 18 जून 1976 को हुआ, लेकिन शिलालेख पर 21 जून 1976 लिखा था. अब कांग्रेस शिलालेख से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम जोड़े जाने से भी खफा है.
HIGHLIGHTS
- विवादस्पद शिलालेख हटाने पर गहलोत सरकार और कांग्रेस खफा
- बीजेपी ने शिलालेख हटाने को इतिहास की भूल सुधार बताया