कांग्रेस में चल रही अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमों के बीच चल रही खींचतान के बीच शह और मात का खेल जारी है. कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अजय माकने के सचिन पायलट को एसेट और स्टार बताने और उनसे प्रियंका गांधी की लगातार बात होने का बयान देने के बाद गहलोत खेमे ने रणनीति बदली है. गहलोत खेमे की तरफ से अब 13 निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायक हरावल दस्ते की भूमिका में आगे आंएगें. 13 निर्दलीय और 6 बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों को मिलाकर 19 विधायकों की 23 जून को जयपुर में साझा बैठक बुलाई गई है.
गहलोत कैंप की तरफ से इसी जी-19 से जुड़े नेता ही पायलट कैंप पर निशाना साधते रहे हैं. अब 23 जून को होने वाली जी-19 की बैठक पर सबकी निगाहें टिकी हैं. मुख्यमंत्री से इन 19 विधायकों में से अधिकांश हाल ही में मिल चुके हैं. बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायक पिछले दिनों ही दो बार बैठक कर चुके हैें. उस बैठक के बाद ही विधायक संदीप यादव ने पायलट खेमे के विधायकों को गद्दार बताया था जिस पर खूब सियासी बवाल हुआ था.
जी-19 से जुड़े विधायक फिर मुखर होकर अपनी मांग उठाएंगे
जी-19 की बैठक का एजेंडा खुला रखा गया है. कुछ विधायकों ने नाम साझा नहीं करने की शर्त पर बताया कि बैठक का एजेंडा खुला है, अभी जो कुछ कांग्रेस में चल रहा है, उस पर चर्चा होने के साथ मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में हिस्सेदारी की चर्चा होगी. जिन लोगों ने सरकार बचाई उन्हें वफादारी का क्या ईनाम मिलेगा उस पर भी चर्चा होगी.
13 निर्दलीयों पर कांग्रेस का अनुशासन लागू नहीं होता, बसपा से आने वाले 6 विधायक पहले से ही मुखर
13 निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आने वाले 6 विधायक गहलोत कैंप के लिए प्रेशर पॉलिटिक्स के बड़े टूल माने जा रहे हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि गहलोत कैंप ने एक रणनीति के तहत ही इन 19 विधायकों को मैदान में उतारा है क्योंकि ये विधायक खुलकर कहते हैं कि उनका समर्थन गहलोत को है. कल जरूरत पड़ने पर वे गहलोत के पक्ष में खुलकर खड़े होने के साथ पायलट कैंप के खिलाफ खुलकर बयान दे सकते हैं और हाईकमान पर दबाव बना सकते हैं. इसका कारण यह कि 13 निर्दलीयों पर तो कांग्रेस का अनुशासन लागू नहीं होता, बसपा से कांग्रेस में आने वउले विधायक भी संकट तें मदद का हवाला देकर हक मांगने का तर्क देकर अनुशासन के दायरे से बच सकते हैंं.
पायलट खेमे की मांगें आसानी से नहीं मानी जाए इसलिए हाईकमान पर दबाव की रणनीति
अजय माकन के बयान के बाद सप्ताह भर से सचिन पायलट कैंप को लेकर बना हुआ नरेटिव पूरी तरह बदल गया. पायलट के दिल्ली से लौटने के बाद गहलोत कैंप को लग रहा था कि मुख्यमंत्री को ही अब फ्री हैंड है, पायलट की हाईकमान नहीं सुन रहा. प्रभारी अजयस माकन ने पायलट के पक्ष में बयान देकर सब कुछ बदल दिया. अब गहलोत कैंप ने भी अपनी सियासी चालें चलनी शुरू की हैं जिनमें जी-19 एक पहली चाल है. आगे भी दोनों खेमे अपनी चालें चलते रहेंगे. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक कांग्रेस की इस खींचतान में अभी बहुत कुछ अनसुलझा और अनदेखा है जिसके सामने आने के लिए इंतजार करना होगा.
HIGHLIGHTS
- राजस्थान कांग्रेस में सियासी घमासान रुकने का नाम नहीं ले रहा है
- 13 निर्दलीयों पर कांग्रेस का अनुशासन लागू नहीं होता
- बसपा से आने वाले 6 विधायक पहले से ही मुखर