कोयले की कमी के चलते राजस्थान में बिजली संकट गहरा रहा है. डिमांड और सप्लाई में 6 करोड़ यूनिट तक का फर्क है. किसानो की चिंता खेती को लेकर है. 15 दिन बाद खेती के लिए बिजली की जरूरत बढ़ने से कुल डिमांड में 10% तक और बढ़ेगी यानी करीब 28 करोड़ यूनिट बिजली की मांग रहेगी. यानि आने वाले दिनों में बिजली संकट बरकरार रहा तो भारी दिक्कत होगी. बिजली संकट को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार आमने सामने हैं. मगर इस बीच सबसे अधिक खामियाजा भुगतना पड़ रहा है ग्रामीणों को. न्यूज़ नेशन टीम ने जब बिजली संकट की ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राउंड रियलिटी रिपोर्ट देखी तो चैकाने वाली तस्वीर सामने आई. राजस्थान के सैंकड़ों गाव करीब 20 दिन से अंधेरे में डूबे हैं.
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जयपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर चौमू क्षेत्र का यह गांव है टांकरदा. आखिर बिजली संकट का कितना असर गाँव मे हो रहा है. ग्राउंड रिअलिटी रिपोर्ट जानने टांकरदा पहुंचे हमारी नजर मुरझाते फूलों पर पड़ी. जब हमने फूल मुरझाने की वजह जानी तो बिजली किल्लत की गंभीर तस्वीर सामने आई. बिजली नहीं आने के कारण समय पर किसान फूलों में पानी नही दे पाया जिसके चलते फूलों मुरझा गये. कलकत्ता से पौधे मंगावाये थे. खर्च की भी पूर्ति होना मुश्किल है. आलम यह है गाँव मे रात को बिजली आ नही रही है. दिन में भी एक या 2 घण्टे ही बिजली आ रही है. किसान की फसल तो सूख ही रही है बच्चो की पढ़ाई भी डिस्टर्ब हो रही है. कम्पटीशन देने वाले छात्रों का तो भविष्य ही दांव पर लग रहा है.
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बिजली संकट का अंदाजा इससे लगा सकते हैें कि राजस्थान के बिजली घरों को रोजाना 27 रैक कोयला चाहिए.लेकिन मिल रहा है महज 12 से 15 रैक कोयला प्रतिदिन. रोजाना 6 रैक यानी 2600 टन कोयले की कमी. इसका खामियाजा अब रबी की फसल पर भी देखने को मिल रहा है. जिन किसानों में 15 दिन पहले सरसो की बुवाई की वो सूख गई. 10 दिन पहले बोई सरसो सूखने के कगार पर है. पिछले सप्ताह बिजली की मांग 9 हजार मेगावाट के लगभग चल रही थी, वह अब 12 हजार 500 मेगावाट तक पहुंच गई है. प्रदेश में 20 करोड़ यूनिट प्रतिदिन चल रही विद्युत खपत भी बढकर 24 करोड़ यूनिट प्रतिदिन हो गई हैं.आगे यह मांग 28 करोड़ यूनिट तक जाएगी. ऐसे में बिजली संकट का अंदाजा लगाया जा सकता है.