राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में लंबे समय से जारी हड़ताल समाप्त हो गई. राइट टू हेल्थ बिल को लेकर सरकार और निजी डॉक्टरों के बीच सहमति बन गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खुद ही ट्वीट कर जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि राइट टू हेल्थ पर सरकार व डॉक्टर्स के बीच सहमति बन गई है. राजस्थान राइट टू हेल्थ लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना है. मुझे आशा है कि आगे भी डॉक्टर-पेशेंट रिलेशनशिप पूर्ववत यथावत रहेगी.
सरकार और डॉक्टरों के बीच बनी सहमति
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हड़ताली डॉक्टरों और सरकार के बीच कई मुद्दों पर समझौता हुआ है. इस समझौते पर डॉक्टरों ने साइन किया है. समझौते के अनुसार, सरकार से रियायती दरों पर जमीन लेने वाले अस्पताल, पीपीपी मोड पर चलने वाले अस्पताल, निजी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल पर नए नियम लागू होंगे. सरकार ने लाइसेंस और मंजूरी के लिए सिंगल विंडो की डॉक्टरों की मांग पर सहमति जताई. वहीं, फायर एनओसी को पांच साल में एक बार रिन्यू करने पर चर्चा करनी होगी.
यह भी पढ़ें: World Bank: भारत की GDP का अनुमान घटाकर 6.3%, विश्व बैंक की रिपोर्ट में खुलासा
सरकार ने विधानसभा में पास किया था विधेयक
गौरतलब है कि राजस्थान में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक को हाल ही में राजस्थान विधानसभा में पास कराया गया था. जिसके बाद निजी डॉक्टरों ने इसका विरोध किया. डॉक्टरों ने इसे वापस लेने के लिए राज्य में विरोध प्रदर्शन भी किया. डॉक्टर विधानसभा में पारित विधेयक को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. विधेयक के अनुसार, राजस्थान के निवासियों को निजी क्लीनिक सहित अस्पतालों में मुफ्त इलाज का अधिकार देने का प्रावधान है. स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक में कहा गया है कि राजस्थान के प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी पूर्व भुगतान के आपातकालीन चिकित्सा सेवा दी जाएगी. इसपर निजी चिकित्सकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. चिकित्सकों की मांग थी कि सरकार जल्द से जल्द इस विधेयक को वापस लें. हालांकि, लंबी जद्दोजहद के बाद सरकार और डॉक्टरों के बीच बात बन गई है.