राजस्थान में सियासी महासंग्राम थमने के बाद अब सबको बेसब्री से प्रस्तावित मंत्रिमंडल फेरबदल औऱ विस्तार का इंतजार है,लेकिन तीन नेताओं की बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट आलाकमान के पास जाने के बाद ही मंत्रिमंडल में फेरबदल-विस्तार की कवायद होगी. ऐसे में 28 अगस्त से लेकर सितम्बर माह में ही मंत्रिमंडल पुनर्गठन का इंतजार समाप्त होने की उम्मीद है. मौजूदा मंत्रिमंडल मे सीएम सहित 22 मंत्री है और अधिकतम 30 ही विधायक राजस्थान में मंत्री बन सकते है. ऐसे में पहले बात करते है पायलट कैंप के कितने विधायक मंत्री बनेंगे.
सामने आ रहा है कि हटाए गए विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा दोबारा मंत्री बन सकते हैं. इन दोनों के अलावा दीपेन्द्र सिंह,हेमाराम चौधरी,बृजेन्द्र ओला और मुरारीलाल मीणा भी मंत्री बनाए जा सकते हैं. सचिन पायलट खुद तो मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होंगे लेकिन उन्होंने अपने कैम्प से उपमुख्यमंत्री सहित 6 को मंत्री बनाने की बात कमेटी तक पहुंचाई है.
इनमें कम से कम तीन से चार विधायकों का केबिनेट मंत्री बनना संभव हो सकता है. वहीं अब बदले हालात के मद्देनजर निर्दलीय और बसपा से आए चंद गिने चुने ही विधायक अब मंत्री बनते दिख रहे है. मसलन बसपा में से आए सिर्फ राजेन्द्र गुढा का ही नाम मंत्री में चल रहा है लेकिन समस्या यह है कि दीपेन्द्र सिंह शेखावाटी से राजपूत चेहरा शामिल होता है तो दूसरे राजपूत गुढा को कैसे वहां के जातिगत,सियासी और स्थानीय समीकरण के तहत लिया जाएगा.
वहीं अगर अकेले गुढा को बनाएंगे तो उनके पांच अन्य साथी कैसे राजी होंगे. लिहाजा एक संभावना तो यही बनती है कि इन सभी छह को संसदीय सचिव या किसी बोर्ड-निगम में चेयरमैन बनाया जाए. अब बात निर्दलीय की करें तो महादेव सिंह खंडेला और संयम लोढा दो ही मंत्रिमंडल में शामिल किए जा सकते हैं. कांग्रेस और गहलोत कैंप के विधायकों की मंत्री बनने की चर्चाएं करें तो परसराम मोरदीया,महेश जोशी,महेन्द्रजीत सिंह मालवीय और मंजू मेघवाल के नए नाम सामने आ रहे हैं. अब इसमें चौंकाने वाले नाम भी एक-दो बनने वालों के सामने आ सकते हैं.
वहीं कुछ मौजूदा मंत्रियों की छुट्टी होने की पूरी संभावना है.अब चालीस अन्य विधायकों को संसदीय सचिव और बोर्ड-आयोग में चेयरमैन बनाने की रणनीती चल रही है. इसके लिए विधायकों को लाभ के पद का कानूनी और संवैधानिक पेंच नहीं आए उस बाध्यता को हटाने की प्लानिंग कर ली है. तो 30 मंत्री, 30 बोर्ड-आयोग में चेयरमैन और 10 संसदीय सचिव बनाते हुए 70 विधायक तो ऐसे एडजस्ट किए जा सकते हैं. वहीं अब अधिकतर बच जाएंगे वो है पहली दफा चुनकर आए विधायक. लिहाजा कांग्रेस के पहली दफा बने विधायकों को मंत्री और संसदीय सचिव नहीं बनाने का सिस्टम अब भी पहले की तरह बरकरार रहेगा. अब जैसे बाड़मेर से एक ही जिले से 2 जाट कैसे मंत्री बनेंगे तो यह भी चुनौती रहेगी, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट तैयार होने और आलाकमान को सौंपने के बाद ही मंत्रिमंडल फेरबदल-विस्तार की कवायद शुरु होगी. लेकिन सीएम गहलोत की इच्छा और उसमें आलाकमान के सुझाव पर ही सारा कामकाज होगा.ऐसे में संभावना है कि 27 अगस्त से लेकर सितम्बर माह में यह इंतजार खत्म हो सकता है.
Source : Ajay Sharma