राजस्थान में बच्चों की किलकारियां शांत होने लगी हैं. अब तक 100 से ज्यादा बच्चे शासन-प्रशासन की लापरवाही की वजह से दम तोड़ चुके हैं. एक तरह मांएं बिखल-बिखल कर रो रही है तो दूसरी तरफ इसपर नेताओं की बयानबाजी का दौर नहीं चल रहा है. अशोक गहलोत सरकार पर विरोधियों के साथ-साथ अब अपने भी वार करने लगे हैं. कोटा में बच्चों की मौत पर एक बार फिर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने कहा है कि यह बेहद ही संवेदनशील मामला है. इसपर राजनीति नहीं होनी चाहिए.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'यह बेहद ही संवेदनशील मुद्दा है. यह ऐसा मुद्दा नहीं है जिसपर राजनीति होनी चाहिए. यहां तक की एक भी शिशु को भी नहीं मरना चाहिए.चीजों को बेहतर बनाने के लिए सरकार और अस्पताल प्रशासन काम कर रही है.
वहीं विरोधियों के साथ-साथ अब डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी अशोक गहलोत को कटघरे में खड़ा किया है. सचिन पायलट ने कहा कि मुझे लगता है कि इस पर हमारी प्रतिक्रिया अधिक नम्र और संवेदनशील हो सकती थी. 13 महीने तक सत्ता में रहने के बाद मुझे लगता है कि पिछले सरकार को दोष देना सही नहीं है. हमें जिम्मेदारी तय करनी होगी.
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इधर, एनएचआरसी,दिसंबर, 2019 के महीने में राजस्थान के कोटा जिले के एक सरकारी अस्पताल में 100 से अधिक बच्चों की मौत के बारे में मीडिया रिपोर्टों का संज्ञान लिया है. एनएचआरसी ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव को विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए नोटिस जारी किया है.
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बता दें कि कोटा के अलावा जोधपुर और बीकानेर के अस्पतालों में बच्चों की मौत की खबर सामने आई है. कोटा में एक महीने में 110 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है. वहीं, एक महीने में 162 बच्चों की मौत होने की खबर है. जोधपुर में 146 बच्चों की सांसें अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की वजह से थम गई है.
Source : News Nation Bureau