पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर विपक्ष के निशाने पर रही राजस्थान कांग्रेस, सरकार के शिक्षा विभाग के एक फरमान के बाद फिर निशाने पर आ गई है. इससे प्रदेश की सियासत एक बार फिर गरमा गई है. दरअसल कांग्रेस सरकार ने वीर सावरकर को लेकर पाठ्यक्रम में बदलाव किए हैं. इन बदलावों के मुताबिक बच्चों को पढ़ाया जाएगा कि सावरकर देशभक्त नहीं थे बल्कि जेल से बचने के लिए अंग्रेजों से दया मांगी थी. साथ ही नए पाठ्यक्रम में सावरकर को पुर्तगाल का पुत्र बताया गया है.
वहीं बीजेपी भी कांग्रेस के फैसले पर विरोध जता रही है. इसी के तहत बीजेपी प्रदेश कार्यालय में मंगलवार को पहली बार वीर सावरकर की जयंती मनाई गई. इस अवसर पर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी ने कहा कि हम सबका सौभाग्य है कि हम स्वतंत्र भारत में जी रहे है. इसके लिए असंख्य लोगों ने अपना बलिदान दिया है. उनमें वीर सावरकर का नाम बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है और वीर सावरकर का बलिदान हमेशा याद रखा जायेगा. वहीं कांग्रेस द्वारा वीर सावरकर पर दिए गए विवादित बयान पर सैनी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वीर सावरकर ने आजादी के लिए जो काम किया वह सामान्य आदमी नहीं कर सकता इसीलिए उन्हें 'वीर महापुरूष' कहते हैं. महापुरूष हमारे लिए प्रेरणा स्त्रोत होते है, वीर सावरकर देश के बंटवारे के खिलाफ थे.
वीर सावरकर को लेकर क्या किया गया है बदलाव?
पिछली बीजेपी सरकार के कई फैसले पलट चुकी कांग्रेस सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम में सावरकर की जीवनी वाले हिस्से में बदलाव किया है. हिंदुत्व के अनुयायी दामोदर सावरकर को तीन साल पहले बीजेपी सरकार में तैयार सिलेबस में वीर, महान देशभक्त और क्रांतिकारी बताया गया था. अब कांग्रेस शासन में नए सिरे से तैयार पाठ्यक्रम में उन्हें वीर ना बताकर जेल की यातनाओं से परेशान होकर ब्रिटिश सरकार से दया मांगने वाला बताया है. इसमें कई और नए तथ्य भी जोड़े गए हैं. उधर, बीजेपी ने इसे वीर सावरकर की वीरता का अपमान बताया, जबकि कांग्रेस ने कहा कि सिलेबस की समीक्षा के लिए गठित कमेटी के प्रस्तावों के अनुसार सिलेबस तैयार हुआ है.
दरअसल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के आते ही स्कूली पाठ्यक्रम की समीक्षा का काम शुरू हुआ था. इसके लिए दो कमेटियां बनाई गई थी. माध्यमिक शिक्षा के सिलेबस की समीक्षा के लिए गठित कमेटी ने 10वीं कक्षा के पाठ-3 अंग्रेजी साम्राज्य का प्रतिकार एवं संघर्ष में देश के कई महापुरुषों की जीवनी शामिल है. इसमें वीर सावरकर से जुड़े हिस्से में काफी बदलाव किया गया है.
बदलाव में कौन जुड़े रहे?
पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने आरोप लगाया गया है कि दिल्ली से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शिक्षा राज्यमंत्री गोविंदसिंह डोटासरा को नई सरकार गठन के बाद जनवरी, 2019 में यह निर्देश दिए थे. पाठ्यक्रम में बदलाव राजीव गांधी स्टडी सर्किल नाम के एक संगठन की टीम ने किया है. इसमें कांग्रेस विचार प्रकोष्ठ से जुड़े विश्वविद्यालयों के शिक्षक भी जुड़े हैं. तथ्यों के साथ छेड़छाड़ देवनानी ने कहा कि एक तरफ तो महात्मा गांधी और इंदिरा गांधी ने वीर सावरकर की खुलकर तारीफ की थी, वहीं दूसरी ओर उन्हीं की पार्टी कांग्रेस और उसके नेता वीर सावरकर के त्याग, बलिकान और देशभक्ति को मानने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से पाठ्यक्रम में तोडफोड़ की जा रही है, वह पूरी तरह अनुचित है. पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए वीर सावरकर द्वारा अंग्रेजों को लिखे गए पत्रों को तोड़मरोड़ कर पेश किया जा रहा है. हकीकत तो यह है कि वीर सावरकर ने रणनीति के तहत अंग्रेजों को पत्र लिखे थे, न कि दया याचिकाएं दायर की थीं. वीर सावरकर ने अंग्रेजों को लिखे पत्रों में एक बार भी माफी या क्षमा जैसे शब्दों का जिक्र तक नहीं किया था.
कक्षा दस की पुस्तक में बदलाव
कांग्रेस सरकार ने बिना किसी विशेषज्ञ कमेटी के गठन के गुपचुप रूप से मनमाने तरीके से वीर सावरकर से जुड़ा पाठ बदला है. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की सबसे महत्वपूर्ण कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान विषय की भाग 3 के एक भाग में परिवर्तन किया है. अध्याय तीन-अंग्रेजी साम्राज्य का प्रतिकार व संघर्ष में बदलाव किया है. इसमें विनायक दामोदर सावरकर से जुड़े हिस्से को बदला गया है.
Source : Lalsingh