कर्नाटक और गोवा के बाद अब राजस्थान कांग्रेस में फूट पड़ गई है. केंद्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद से कई राज्यों में खींचतान शुरू हो गई है. अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) अब खुलकर आमने-सामने आ गए हैं. सचिन पायलट कह रहे हैं कि जनता ने अशोक गहलोत के नाम पर वोट नहीं दिया और ऐसा ही आरोप अशोक गहलोत भी सचिन पायलट पर लगा रहे हैं.
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राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के बारे में कहा जाता है कि उन्हें पता है कि कब, कहां और कितना बोलना है. बजट पेश करने के बाद अशोक गहलोत ने सीएम बनने के 8 महीने बाद आखिरकार उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को साफ कर दिया कि वह राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने का मंसूबा ना पालें. अशोक गहलोत ने कहा कि विधानसभा चुनाव में लोगों ने उनके नाम पर वोट दिए हैं. इसके चलते कांग्रेस ने उनको मुख्यमंत्री बनाया है. किसी और के नाम पर वोट नहीं मिले हैं. जो मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में भी नहीं थे वह भी अपना नाम आगे ला रहे हैं.
दरअसल, कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने के छुपे हुए अभियान से परेशान हैं और बजट पेश करने के बाद इस मुद्दे पर आरपार करने के मूड में हैं. अशोक गहलोत ने इशारों-इशारों में साफ कर दिया है कि मैं ही राजस्थान का बॉस हूं. यहां दो नेता नहीं चलेंगे, लेकिन 5 साल तक राजस्थान का प्रदेश अध्यक्ष रहकर विधानसभा चुनाव में नेतृत्व करने वाले नौजवान नेता सचिन पायलट कहां चुप बैठने वाले थे.
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वहीं, सचिन पायलट को लगता है कि 5 साल तक हमने मेहनत की और जब मलाई खाने का वक्त आया तो गहलोत टपक पड़े. सचिन पायलट को लगता था कि लोकसभा चुनाव (LOk Sabha Election) के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी उनको मौका देंगे, मगर कोई कुछ नहीं बोल रहा है तो सचिन पायलट की भी बेसब्री बढ़नी लाजमी है. बिना पत्रकारों के सवाल पूछे ही सचिन पायलट ने कहा कि राजस्थान में सरकार कार्यकर्ताओं की मेहनत से बनी है और राहुल गांधी के नाम पर बनी है न कि किसी और के नाम पर बनी है.
सचिन पायलट ने बजट पर बोलने के लिए पत्रकारों को बुलाया था मगर किसी ने अशोक गहलोत के बयान पर प्रतिक्रिया नहीं मांगी तो खुद ही बोल दिया और पत्रकारों को यह भी कह दिया कि आप लोग कठिन सवाल नहीं पूछते. माना जा रहा है कि राजस्थान में दोनों के बीच की लड़ाई अब इस स्तर पर पहुंच गई है कि अगर इस मुद्दे पर जल्द कोई फैसला नहीं हुआ तो पार्टी के लिए ठीक नहीं होगा और राज्य में सरकार चलाना भी कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा.
Source : News Nation Bureau