पहले उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में, फिर बिहार के मुजफ्फरपुर में और अब राजस्थान के कोटा में सैकड़ों बच्चों की असामयिक मौत हुई है. इन सभी घटनाओं में देश के बाल मृत्यु दर के आंकड़े बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों के इरादों पर गंभीर सवाल उठाते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोटा में जेके लोन अस्पताल अच्छी तरह से इनक्यूबेटरों जैसी आवश्यक सुविधाओं से लैस नहीं है और कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है.
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वहीं जेके लॉन हॉस्पिटल में मासूमों की मौत का आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है, अब ये संख्या 105 से बढ़कर अब 106 तक पहुंच गया है. दूसरी तरफ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की. पीड़ित परिवारवालो ने हॉस्पिटल प्रशासन पर कई तरह के आरोप लगाए.
आखिर 33 दिन बाद शुक्रवार को चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा भी परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास के साथ कोटा के जेके लोन हॉस्पिटल पहुंचे. खाचरियावास ने कहा, 'भले ही हमारी जान चली जाए लेकिन किसी बच्चे की जान नहीं जाने दी जाएगी. बच्चों की मौत का जो भी जिम्मेदार होगा किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. जिम्मेदारी तय करने के लिए की जा रही है.' मंत्री खाचरियावास ने कहा 'पूरी सरकार बच्चों की मौत को लेकर है संवेदनशील एक बच्चे की मौत होना सरकार के लिए दुखद का विषय है.'
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चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने भी मीडिया को किया संबोधित करते हुए कहा, '15 जनवरी तक अस्पताल की व्यवस्थाओं को कर दिया जाएगा चाक-चौबंद लापरवाही बरतने वाले चिकित्सा अधिकारियों और चिकित्सा कर्मियों के खिलाफ जिम्मेदारी तय होने के बाद होगी.'
गौरतलब है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) कोटा में मासूम बच्चों की हो रही मौत पर राजस्थान सरकार से जवाब तलब किया है.
Source : News Nation Bureau