राजस्थान का सियासी ड्रामा (Rajasthan Drama) थमने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से सचिन पायलट के बाद राजस्थान के सियासी समीकरण बदल गए हैं. भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया (Satish Poonia) ने सोमवार को कांग्रेस पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि एसओजी और एसीपी जनप्रतिनिधियों की जांच के दायरे में नहीं आती तो फिर उन्हें क्यों भेजा.
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राजस्थान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि राहुल गांधी को यूटर्न चैनल शुरू करना चाहिए. बड़ी हास्यास्पद सी बात है कि अभी तक कांग्रेस अपना अध्यक्ष भी नहीं ढूंढ पाई. आज रात तक अध्यक्ष का फैसला नहीं कर पाए तो राजस्थान का फैसला कैसे कर सकते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस का असली चरित्र जनता के सामने आ गया है. जिस तरीके के हालात बने हैं उस स्थिति में नहीं लगता है कि मजबूत ईमानदार सरकार चलेगी. अशोक गहलोत को कुर्सी छोड़ देनी चाहिए. पूनिया ने आगे कहा कि हम आज तय करेंगे कि हमें कल प्रशिक्षण करना है या नहीं है. पूनिया ने कहा कि 36 के आंकड़े को 63 में बदल दिया जाएगा.
पायलट ने राहुल और प्रियंका से की मुलाकात, राजस्थान में उथल-पुथल थमने की उम्मीद
राजस्थान विधानसभा के प्रस्तावित सत्र से कुछ दिनों पहले पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने सोमवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा से मुलाकात की जिसके बाद राज्य में चल रही सियासी उथल-पुथल थमने की उम्मीद है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी के आवास पर इस मुलाकात में करीब दो घंटे तक चर्चा हुई.
पायलट के करीबी सूत्रों का कहना है कि राजस्थान कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष ने पार्टी के दोनों शीर्ष नेताओं के समक्ष विस्तार से अपना पक्ष रखा और फिर दोनों ने उनकी चिंताओं के निदान का भरोसा दिलाया. दूसरी तरफ, कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि पायलट ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के समक्ष अपनी बात रखी है, हालांकि फिलहाल सुलह के किसी फार्मूले पर सहमति नहीं बनी है.
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सूत्रों का यह भी कहना है कि पिछले कई दिनों से चली आ रही सियासी उथल-पुथल की पृष्ठभूमि में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से पायलट की मुलाकात ‘सकारात्मक संकेत’ है और अब मामला सुलझने की संभावना प्रबल हो गई है. यह मुलाकात विधानसभा सत्र आरंभ होने से कुछ दिनों पहले हुई है और अब राजस्थान में कांग्रेस के भीतर पिछले कुछ हफ्तों से चली आ रही उठापठक थमने की उम्मीद है.
गौरतलब है कि 14 अगस्त से राजस्थान विधानसभा का सत्र आरंभ होगा जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बहुमत साबित करने का प्रयास करेंगे. मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ खुलकर बगावत करने और विधायक दल की बैठकों में शामिल नहीं होने के बाद कांग्रेस आलाकमान ने पायलट को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री के पदों से हटा दिया था. बागी रुख अपनाने के साथ ही पायलट कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि वह भाजपा में शामिल नहीं होंगे. पायलट और उनके साथी 18 अन्य विधायकों की बगावत के कारण गहलोत सरकार मुश्किल में आ गई है.
गहलोत और कांग्रेस अपनी सरकार बचाने के लिए पिछले कई हफ्तों से जुटे हुए हैं. पहले विधायकों को जयपुर के होटल में रखा गया था. बाद में उन्हें जैसलमेर के एक होटल में भेज दिया गया। पिछले कई हफ्तों से चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच कांग्रेस ने बार-बार दोहराया है कि अशोक गहलोत सरकार के पास 100 से अधिक विधायकों का समर्थन है और उसके ऊपर कोई खतरा नहीं है.