एक तरफ जहां देश के कुछ राज्यों में चुनावी माहौल बना हुआ है, वहीं देश की राजधानी दिल्ली के करीबी राज्य राजस्थान से बड़ी खबर सामने आई है. यहां धौलपुर के कद्दावर नेता बनवारी लाल शर्मा का निधन हो गया है. बनवारी लाल शर्मा लंबे समय से बीमार चल रहे थे, जिसके चलते उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बनवारी लाल ने आज यानी बुधवार को अंतिम सांस ली. वह 84 साल के थे. बनवारी लाल शर्मा के निधन से राजस्थान समेत कई राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है. वह एक बेदाग राजनेता के रूप में जाने जाते रहे हैं. बनवारी लाल शर्मा ने अपने राजनीतिक करियर में कई दिग्गज नेताओं का मुकाबला किया था.
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1967 में बनवारी लाल शर्मा ने पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता
जानकारी के अनुसार 1967 में बनवारी लाल शर्मा ने पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता और धौलपुर से विधायक बने. इसके बाद 1967 से लेकर 2008 तक वह 5 बार विधायक चुने गए. बनवारी लाल शर्मा का जन्म एक राजनीतिक परिवार में हुआ था. उनके पिता जगन्नाथ प्रसाद शर्मा को धौलपुर की सियासत का चाणक्य माना जाता है. उनके पिता देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के काफी करीबी माने जाते थे. यहां तक कि पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी उनके घर पर आ चुकी हैं.
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वसुंधरा राजे को हराकर राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल किया
बनवारी लाल शर्मा ने 1980 के चुनाव में वसुंधरा राजे को हराकर राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल किया था. इसके बात उन्होंने 1990 में दिग्गज नेता भैरो सिंह शेखावत को भी कड़ी टक्कर दी. बनवारी लाल शर्मा की छवि राजस्थान में एक बड़े ब्राह्मण चेहरे की थी. विपक्षी नेता भी उनका सम्मान किया करते थे. चुनावी प्रतिद्वंदी होने के बावजूद भी भैरो सिंह शेखावत और वशुंधरा राजे से उनके पारिवारिक संबंध थे. बनवारी लाल शर्मा कांग्रेस की सरकार में मंत्री भी रहे.