सरकारों की ओर से मुफ्त चीजें-सुविधाएं देने (रेवड़ी कल्चर) को लेकर देश में गंभीर बहस छिड़ी हुई है. पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल में चिंता जताते हुए यहां तक कहा कि रेवड़ी कल्चर देश को कहीं का नहीं छोड़ेगा. लेकिन राजस्थान में अगले साल विधानसभा के चुनाव हैं और सरकार ने कांग्रेस नेताओं को राजनीतिक नियुक्तियां देने के साथ लोक लुभावनी योजनाओं का रेवड़ी कल्चर चला रखा है. जिसके चलते राजस्थान का कर्ज 200 फीसदी बढ़कर अब 5:30 लाख करोड़ से भी ज्यादा पर पहुंच गया है. गहलोत सरकार ने 5 साल में जितना लोन लेना था उतना तो अकेले इन 3 साल में ही ले लिया और अगले डेढ़ सालों में चुनावी मोड में सरकार का यह कर्ज कई गुना बढ़ जाएगा. साल 2019 में राजस्थान पर चढ़ा कर्ज करीब 3:30 लाख करोड़ ही था लेकिन मुफ्त बिजली, किसान कर्ज माफी और सवा करोड़ से ज्यादा महिलाओं को निशुल्क मोबाइल फोन देने जैसी योजनाओं के चलते सरकार का कर्ज बढ़ रहा है. किसान कर्ज माफी के चलते 82 हज़ार करोड़ का अतिरिक्त कर्ज उस पर चढ़ गया है. ऐसे में यदि इसी रफ्तार से सरकार लोन लेती रही तो 2 साल में 7लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज चढ़ जाएगा.
राजस्थान सरकार पर भारी कर्ज, जनता पर दोगुना आंकड़ा
इससे पहले रिजर्व बैंक भी 'फ्री' अर्थव्यवस्था से खड़े नुकसानों को लेकर आगाह कर चुका है. आरबीआई ने राजस्थान सहित 10 राज्यों के वित्तीय हालत पर चिंता जताई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के अलावा बिहार, केरल, पंजाब, पश्चिम बंगाल जैसे राज्य कर्ज के भारी बोझ तले दबे हैं. अब राजस्थान भी इसी राह पर चल पड़ा है। प्रदेश का कर्ज बढ़कर 4.77 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया है. इसमें 82 हजार करोड़ रु. का गारंटेड लोन भी शामिल कर दें तो प्रदेश पर कुल कर्ज 5.59 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया है. साल 2019 तक बजट में शामिल कर्ज 3.39 लाख करोड़ रु. था. इसके अलावा 61 हजार करोड़ से ज्यादा का गारंटेड लोन था. सरकार साढ़े तीन साल में 1.91 लाख करोड़ रु. का कर्ज (गारंटेड लोन शामिल नहीं) ले चुकी है. पिछली सरकार ने 5 साल में 1.81 लाख करोड़ का कर्ज लिया. राजस्थान के हर नागरिक पर साल 2019 में प्रति व्यक्ति कर्ज 38,782 रु. था, जो 2022-23 के बजट में बढ़कर 70,848 रु. हो गया है.
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चुनावी सालों में बीजेपी-कांग्रेस दोनों ने बांटी रेवड़ियां
गहलोत सरकार
मुफ्त बिजली : बजट में 50 यूनिट तक फ्री बिजली का ऐलान. 6 हजार करोड़ का भार.
किसान कर्जमाफी : कांग्रेस सत्ता में आई. इसके बाद सहकारी बैंकों के किसानों का किसान कर्जमाफी के नाम पर 7 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किया.
मोबाइल फोन : 1.33 करोड़ महिलाओं को फ्री मोबाइल बांटने जा रही है. बजट ढाई हजार करोड़ से बढ़ाकर 12,500 करोड़ रु. किया जा रहा है.
वसुंधरा सरकार
टोल हटाया : चुनावी साल में स्टेट टोल फ्री कर दिए. इससे 300 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व का नुकसान हुआ.
किसान कर्जमाफी: सहकारी बैंकों के कर्जदार किसानों के लिए 50 हजार रुपए तक की कर्जमाफी का ऐलान.
मोबाइल फोन: यह घोषणा वसुंधरा सरकार ने भी की. बाद में चुनाव घोषित होने से योजना पर ब्रेक लगा.
कर्ज का यह मर्ज कितना चिंताजनक है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ब्याज के रूप में सरकार हर साल 28 हजार करोड़ रु. से ज्यादा खर्च कर रही है.
HIGHLIGHTS
- राजस्थान सरकार पर बढ़ा बेतहाशा कर्ज
- वसुंधरा सरकार ने भी खूब बांटी थी रेवड़ियां
- अशोक गहलोत सरकार ने तोड़े कर्ज लेने के सारे रिकॉर्ड