राजस्थान (Rajasthan) के राज्यपाल कलराज मिश्र (Kalraj Mishra) ने सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. उन्होंने सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को कहा कि जिस तरह बिना वक्त दिए आपने मीडिया के सामने बयान दिया, मैंने मेरे जीवन में किसी भी मुख्यमंत्री से इस तरह का बयान तो नहीं सुना.
कलराज मिश्र ने पत्र में कहा, 'आपने विधानसभा बुलाने की अनुशंसा मुझे दिनांक 23 जुलाई 2020 को प्रेषित की. अभी मैं कुछ विशेषज्ञों से चर्चा कर पाऊं, उससे पहले ही सार्वजनिक रूप से प्रेस के सामने यह कह दिया कि यदि राजभवन का घेराव होता है तो आपकी जिम्मेदारी नहीं है.
राजभवन की सुरक्षा के लिए किस एजेंसी से संपर्क करें
उन्होंने आगे कहा कि मैं मीडिया में आज आपके दिए गए बयान से आहत हूं. मेरा आपसे निवेदन है कि आपका गृह विभाग क्या राजभवन की सुरक्षा नहीं कर सकता तो कानून व्यवस्था के संबंध में आपका फिर क्या मंतव्य है. साथ ही वह बताएं राजभवन की सुरक्षा के लिए किस एजेंसी से संपर्क करें. मैंने मेरे जीवन में किसी भी मुख्यमंत्री से इस तरह का बयान तो है नहीं सुना.
कांग्रेस समर्थक और विधायक राजभवन में धरने पर बैठे
गौरतलब है कि कांग्रेस और उसके समर्थक विधायक विधानसभा सत्र बुलाए जाने की मांग को लेकर शुक्रवार की दोपहर राज्यपाल से मिले और राजभवन में धरने पर भी बैठे.
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संवैधानिक मर्यादा से ऊपर कोई नहीं होता है
इससे पहले राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि संवैधानिक मर्यादा से ऊपर कोई नहीं होता है. उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की दबाव की राजनीति नहीं होनी चाहिए.’ बयान के अनुसार, ‘राज्य सरकार ने 23 जुलाई, 2020 की रात को विधानसभा के सत्र को अत्यन्त ही अल्प नोटिस के साथ आहूत किये जाने की पत्रावली पेश की.
पत्रावली में गुण दोषों के आधार पर राजभवन द्वारा परीक्षण किया गया
पत्रावली में गुण दोषों के आधार पर राजभवन द्वारा परीक्षण किया गया तथा विधि विशेषज्ञों द्वारा परामर्श प्राप्त किया गया. इसके बाद राजभवन ने कुछ बिंदु उठाते हुए राज्य सरकार के संसदीय कार्य विभाग से कहा कि वह इन बिंदुओं के आधार पर स्थिति पेश करे.’
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जब बहुमत है तो सत्र आहुत करने का क्या औचित्य है?
बयान के अनुसार राजभवन द्वारा जिन छह बिंदुओं को उठाया गया है उनमें से एक यह भी है कि राज्य सरकार का बहुमत है तो विश्वास मत प्राप्त करने के लिए सत्र आहूत करने का क्या औचित्य है? इसके साथ ही इसमें कहा गया है कि विधानसभा सत्र किस तिथि से आहूत किया जाना है, इसका उल्लेख कैबिनेट नोट में नहीं है और न ही कैबिनेट द्वारा कोई अनुमोदन प्रदान किया गया है.
Source : News Nation Bureau