राजस्थान (Rajasthan) के कई जिलों से सरकारी अस्पतालों (Government Hospitals) में नवजात बच्चों की मौत (Death of New Boarns) के मामले में स्व-प्रेरणा प्रसंज्ञान से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, हाईकोर्ट (High court) की खंडपीठ ने बच्चों की मौत गहरी पर चिंता जताते हुए बच्चों की मौत पर राज्य सरकार को महत्वपूर्ण निर्देश देते हुए मामले में जवाब मांगा है.
मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट सीजे इंद्रजीत महांति व जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी की खण्डपीठ ने राज्य में कितने बच्चों की मौत हुई है? किन कारणों से मौत हुई है ? खण्डपीठ ने रिपोर्ट तलब की है. आज खण्डपीठ ने कोटा 115 बच्चों की मौत, जोधपुर 146 बच्चो की मौत बूंदी सहित राज्य के सभी जिलों के नवजात की मौत किस कारण से हुई उसकी की रिपोर्ट 10 फरवरी को पेश करने के आदेश दिए हैं.
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आज स्व-प्रेरणा प्रसंज्ञान से दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के सीजे इंद्रजीत महांति व जस्टिस पुष्पेन्द्रसिंह भाटी की खण्डपीठ में सुनवाई हुई. खंडपीठ ने प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों को कंप्यूटरीकृत कर ऑनलाइन करने के निर्देश जारी किए. ताकि मरीज जब अस्पताल आता है तब से उसका रिकॉर्ड मेंटेन हो सके और सही आंकड़े मिल सके.
इसके अलावा न्याय मित्र राजेंद्र सारस्वत व कुलदीप वैष्णव सहित अतिरिक्त महाधिवक्ता पंकज शर्मा को निर्देशित किया कि वे प्रदेश की किन्हीं दो अस्पतालों में औचक निरीक्षण कर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें. अब इस मामले में आगामी 10 फरवरी को फिर सुनवाई होगी.
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बता दें कि राजस्थान में अब तक करीब 115 नवजात बच्चों की मौत हो चुकी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'यह बेहद ही संवेदनशील मुद्दा है. यह ऐसा मुद्दा नहीं है जिसपर राजनीति होनी चाहिए. यहां तक की एक भी शिशु को भी नहीं मरना चाहिए.चीजों को बेहतर बनाने के लिए सरकार और अस्पताल प्रशासन काम कर रही है.
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