महिलाओं खासकर नाबालिग बच्चियों की सुरक्षा की दृष्टि से राजस्थान देश में बेहतर स्थान पर है. हालांकि, 18 वर्ष से ऊपर की युवतियों व महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं की दृष्टि से राजस्थान में एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार जरूर अधिक प्रकरण दर्ज हुए हैं, लेकिन उसका प्रमुख कारण निर्बाध पंजीकरण की नीति का अपनाया जाना है. एडीजी क्राइम डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों की रोकथाम एवं अनुसंधान पर राजस्थान पुलिस द्वारा विशेष ध्यान दिया जा रहा है. महिला अत्याचार से संबंधित प्रकरणों में अनुसंधान में लगने वाला औसत समय भी घटा है. राज्य में महिलाओं एवं बच्चों के विरुद्ध होने वाले गंभीर अपराधों की गुणवत्ता पूर्ण अनुसंधान एवं प्रभावी परीक्षण के लिए राज्य के सभी पुलिस जिलों में स्पेशल यूनिट फॉर क्राईम अगेंस्ट वूमेन का गठन किया गया है.
एडीजी डॉ. मेहरड़ा ने बताया कि प्रदेश के समस्त पुलिस थानों पर संचालित महिला हेल्प डेस्क पर पीड़िता को सुविधाजनक एवं सम्मानजनक वातावरण उपलब्ध कराया जा रहा है, इससे वह बेहिचक अपनी पीड़ा बता पा रही है. सुगमता से थानों में अभियोग दर्ज किया जा रहा है. एनसीआरबी के इन आंकड़ों में आए महिलाओं से दुष्कर्म के मामले में जांच के दौरान 48% मामले झूठे भी पाए गए हैं.
उन्होंने बताया कि हाल ही में एनसीआरबी द्वारा जारी साल 2021 के आंकड़ों में निर्बाध पंजीकरण व्यवस्था की वजह से आंशिक इजाफा देखने को मिला है. आंशिक वृद्धि यह प्रमाणित करती है कि राजस्थान के पुलिस थानों में अनुकूल वातावरण मिलने से पीड़ित में परिवाद दर्ज कराने का हौसला और पुलिस कार्रवाई मे विश्वास बढ़ा है. पीड़ित द्वारा परिवाद पेश किए जाने पर प्रारंभिक अवस्था में पुलिस कर्मी द्वारा तत्काल पीड़ित की एफआईआर दर्ज की जाती है.
उन्होंने बताया कि नाबालिग बच्चियों के विरुद्ध दर्ज होने वाले पोक्सो एक्ट के मुकदमों में राजस्थान का स्थान पूरे देश में 12वें नंबर पर है. इसका सबसे बड़ा कारण नाबालिग बच्चियों की सुरक्षा के लिए राजस्थान में पुलिस विभाग द्वारा बनाया गया सुरक्षित वातावरण है. एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार, पेंडेंसी, निस्तारण एवं दोष सिद्धि की दृष्टि से राजस्थान का स्थान काफी ऊपर है.
Source : News Nation Bureau